शीतल की रण्डी बनने की चुदाई कहानी–२

शीतल की रण्डी बनने की चुदाई कहानी–२

नमस्कार दोस्तों आप सबका chut-phodo.blogspot.com में बहुत बहुत स्वागत है। आज की कहानी शीतल की रंडी बनने की चुदाई कहानी का दूसरा भाग है अगर आपने इस कहानी का पहला भाग नहीं पढ़ा है तो पहले वो भाग पढ़िए और फिर ये वाला भाग पढियेगा कहानी का पहला भाग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें शीतल की रण्डी बनने की चुदाई कहानी–१

विशेष सूचना: ये कहानी और इसके सारे चरित्र काल्पनिक है। किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के साथ इनका सादृष्य केवल एक संयोग है।

शीतल अपनी जगह पर खड़ी हुई थी, लेकिन वो चाह रही थी की तुरंत अपनी ब्रा और पैंटी को उठाकर नीचे ले जाए। लेकिन ऐसा करने पर वसीम को पता चल जाता। वसीम ने अपने रूम का दरवाजा बंद कर लिया और ऐसा होते ही तुरंत शीतल भागकर नीचे चली गई और वसीम के जाने का इंतेजार करने लगी।

शीतल से अब रहा नहीं जा रहा था। उसकी आंखों के सामने वही दृश्य चल रहा था जिसमें वसीम के लंड से वीर्य बाहर निकल रहा था और शीतल की पेंटी को गिला कर रहा था। शीतल नाइट सूट वाले टॉप और ट्राउजर में थी। उसे याद आया कि इस पैंटी में भी उसने इसी तरह अपना वीर्य गिराया होगा जो उसकी चूत से सटा हुआ है। यह सोचते ही की वसीम का वीर्य उसकी चूत से सटा हुआ है वह और गीली हो गई। शीतल सोफे पर लेट गई और उसका हाथ उसकी पैंटी के अंदर चला गया। और वो अपनी चूत को सहलाने लगी जो कि गीली हो चुकी थी।

शीतल को अच्छा लग रहा था और उसकी उंगली उसकी चूत में जा घुसी और वो हस्तमैथुन करने लगी। ये काम वो पहली बार कर रही थी अपनी जिंदगी में। शीतल बैठ गई और अपने ट्राउजर और पैंटी को पूरा नीचे करके घुटनों के पास कर दी और अच्छे से दोनो जांघो को फैलाकर दोनों तलबों को सटा ली।

शीतल की चूत अब अच्छे से फैल कई थी और वो अपनी बीच वाली उंगली को पूरी तरह जल्दी जल्दी अंदर बाहर कर रही थी। आज तक जिस्म की ऐसी आग उसने कभी भी महसूस नहीं की थी। शीतल ने अपने दूसरे हाथ से अपनी ब्रा को ऊपर किया और अपनी चुचियों को जोर जोर से मसलने लगी। वो पागल हुई जा रही थी। उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो ऐसे ही सोफे पर लेट गई। शीतल का दिल काफी जोर से धड़क रहा था।

चूत का पानी निकलते ही उसके अंदर की शरीफ औरत जाग गई और उसे बुरा लगने लगा की वो ये क्या कर रही थी? आज पहली दफा वो अपनी चूत में उंगली डाली थी और इस तरह अपने कपड़े उतारकर ऐसी हरकत की थी।

शीतल सोचने लगी–" मैं एक शादी शुदा औरत हूं और किसी दूसरे मर्द के बारे में सोचना भी मेरे लिए पाप है। लेकिन मैंने तो दूसरे मर्द के बारे में सोचकर अपनी चूत का पानी निकाल लिया...।" उसे अपने आप पर बोहोत गुस्सा और घिन आने लगी।

उसे वसीम पे भी जोरो से गुस्सा आने लगा की वो कितना घटिया और नीच इंसान है, जो अपने से आधी उम्र की औरत के बारे में ऐसी घटिया बातें सोचता है और ऐसी घटिया हरकत करता है। उसने फैसला कर लिया की वो ये बात बिकास को बताएगी और वो दोनो इस घर को खाली करके किसी और जगह पर रहेंगे।

शीतल एक घंटे तक वसीम के बारे में ही सोचती रही। उसके दिमाग में उथल पुथल मची हुई थी। वो उसी तरह सोफे पे लेटी हुई थी और उसका ट्राउजर और पैंटी उसकी घुटनों के पास थी। शीतल को वसीम खान के अपने काम पे चले जाने की आहट हुई। वो उठकर बैठी और उसने अपने कपड़े ठीक किए। फिर वो चाट पर गई और अपने कपड़े नीचे ले आई। पैंटी और ब्रा दोनो गीली थी। शीतल सोच रही थी की कल से पैंटी और ब्रा को चाट पर सूखने की नहीं देगी।

शीतल उसे धोने जा रही थी, लेकिन वो बाकी के कपड़े रखकर पैंटी को देखने लगी। ब्राउन कलर की पेंटी पे सफेद रंग का बीर्य अब तक हल्का हल्का दिख रहा था। उसकी आंखों के सामने वो दृश्य फिर से नजर आया। कैसे उसके इतने सामने वसीम का इतना बड़ा मोटा काला लंड ढेर सारा वीर्य उसकी पैंटी पे गिरा रहा था। वो ब्रा भी उठाकर देखने लगी। उसकी चूत में फिर से हलचल मचने लगी। फिर से उसे एक बार उसके  वीर्य को सूंघने का मन किया और वो पैंटी को नाक के पास ले आई।

उफ्फ.... अजीब सी मदहोश कर देने वाली खुशबू उसके उसकी नाक से टकड़ा रही थी। उसने अपनी पैंटी पे लगे वीर्य पे जीभ को सुटाया तो उसे ऐसा एहसास हुआ की वो वसीम खान के लंड के टोपे को अपनी जीभ से चाट रही है। शीतल की चूत अब हलचल करने लगी। उसका बदन हिलने लगा।

शीतल पैंटी ब्रा को सोफे पे रख दी और पहले अपनी ट्राउजर और पैंटी को उतार दी। इतने से भी उसका मन नहीं भरा तो उसने टॉप और और ब्रा को भी उतार दिया और पूरी नंगी हो गई। उसका बदन आग में तप रहा था। वो फिर से पैंटी और ब्रा को उठा ली और चलती हुई सोफे पे जा बैठी। उसने पैंटी को चाटते हुए कल्पना में वसीम के लंड को चाटना शुरू कर दिया।

उसने पैंटी को रख दिया और ब्रा को उठा लिया और सूंघने चाटने लगी। वो वसीम के वीर्य लगे पैंटी को अपनी चूत पे रगड़ने लगी और उंगली अंदर बाहर करने लगी। वो पागलों की तरह अपनी कमर उछालने लगी जैसे वो चूद रही हो। उसने ब्रा के कप को अपने मुंह पर रख लिया और हाथ के सहारे अपने जिस्म को ऊपर उठाई और कमर उठाकर चुदवाने जैसी उंगली अंदर बाहर करते हुए कमर ऊपर नीचे करने लगी।

उसकी चूत ने थोड़ी ही देर में पानी का फौवारा छोड़ दिया और शीतल हांफती हुई सोफे पे लेट गई। पहली बार वो इतना ज्यादा हांफ रही थी और इस बार उसे पिछली बार से ज्यादा मजा आया था।

कहानी का अगला हिस्सा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें👇

शीतल की रण्डी बनने की चुदाई कहानी–३

हमारे टेलीग्राम चैनल से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें👇

https://t.me/hindi_kahani_chudai