मैं बनी अपने सोहर की रण्डी

मैं बनी अपने सोहर की रण्डी

नमस्कार दोस्तों आप सबका chut-phodo.blogspot.com में बहुत बहुत स्वागत है। मेरा नाम आलिया है और मैं इस वेबसाइट की एक नियमित पाठक हूं। कुछ दिनों से मैं इस वेबसाइट की कहानियों को पढ़ रही हूं, इसलिए मुझे भी इच्छा हुई कि अपनी लिखी हुई कहानी आप लोगों के साथ शेयर करूं।


तो चलिए कहानी को शुरू करते हैं।

मैं अपने सोहर की रण्डी

विशेष सूचना: ये कहानी और इसके सारे चरित्र काल्पनिक है। किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के साथ इनका सादृष्य केवल एक संयोग है।

कहते हैं कि हर औरत के अंदर एक रण्डी छुपी होती है। वो शर्म के मारे किसी के सामने अपना रंडीपन जाहिर करे या ना करे, लेकिन होती सब के अंदर है। ऐसे ही मैं भी हूं। अपने पति की रण्डी।

मेरी कहानी शुरू होती है तब जब मेरी शादी के दो साल पूरे हो गए थे और मेरा एक ६ महीने का बच्चा था। अरे, मैने अपने बारेमे तो बताया ही नहीं। मेरा नाम है आलिया खान। मैं पाकिस्तान की लाहौर की रहने वाली हूं। मेरी शादी २२ साल की उमर में हो गई थी। उस वक्त मेरा फिगर ३२–२६–३४ था। जो की मेरे बेटे के पैदा होने के बाद ३६–३२–३८ बन चुका था। मेरे सोहर, जिनका नाम आलिम है, एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। वो मुझसे ४ साल बड़े हैं। उनका लंड काफी लंबा और मोटा है। उन्होंने सुहागरात में मेरी चीखें निकाल दी थी। क्योंकि मैं एक कुंवारी लड़की थी, इसलिए जब उन्होंने मेरी उनचुदी चूत को अपने लंड से खोला तो मैं लगभग ३ दिन तक अच्छे से चल नहीं पाई। फिर धीरे धीरे मुझे आदत हो गई तो और उनसे मजे से अपने आपको चूदवाने लगी। 

मगर जैसे अक्सर लोगो की जिंदगी में होता है। हमारी रोजकी जिंदगी में भी पैशन खतम होने लगा। सेक्स एक रूटीन बन गया। बिस्तर पर आओ, अपनी टांगें उठाओ, ८–१० मिनट धक्के लगाओ और खतम। मेरे सोहर कई बार मुझे अलग पोजिशन में सेक्स करने को कहते। मुझे अपना लंड चूसने को कहते थे। लेकिन मैं मना कर देती थी।

अब मैं आती हूं कहानी की तरफ, मेरा बेटा आबिद ६ महीने का था। जैसे हर मां होती है, में भी अपने आप को हमेशा उसी में व्यस्त रखती थी। बच्चे का खयाल, घर का काम ये सब ही करती थी। खुद के लिए वक्त ही नही मिलता था।

मेरे सोहर जब थके हुए घर आते तो उनका मूड भी थोड़ा खराब रहने लगा। क्योंकि मैं उन्हें वक्त ही नही दे पाती थी। एक अजीब सा खिचाओं पैदा होने लगा हमारे दर्मियां। मेरे सोहर का चिरचिरापन बढ़ने लगा। छोटी छोटी बात पर वो मेरे साथ लड़ाई करते। ऐसे में मैं भी परेशान रहने लगी।

मेरी सास जिनकी उम्र करीब ५० साल होगी और मेरे ससुर जिनकी उम्र करीब ५५ साल होगी, हमारे साथ ही रहते हैं। एकदिन सुबह मेरी और मेरे सोहर के बीच में लड़ाई होने लगी।

बात बढ़ते बढ़ते यहां तक पोहोंच गई की उन्होंने मेरे ऊपर हाथ उठा दिया। मैं रोने लगी, क्योंकि इससे पहले उन्होंने कभी मेरे ऊपर हाथ नही उठाया था। मेरे सास और ससुर ने मेरे सोहर को ऑफिस जाने के लिए कहा। मैं फैसला कर चुकी थी की मैं मेरी अम्मी और अब्बू के घर चली जाऊंगी। जहां मेरी कोई इज्जत नहीं, वहां मैं एक पल भी नही रुकना चाहती थी।

मेरी सास ये सब तमाशा खामोशी से देख रही थी। मेरे सोहर के ऑफिस जाने के बाद उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया। में अपने बेटे आबिद को लेकर उनके पास गई।

मेरी सास: क्या बात है बहु? आज आलिम तुमपर इतना गुस्सा क्यों करने लगा?

मैं: पता नही अम्मी जी। पिछले कुछ दिनों से ये जरा जरा सी बात पर गुस्सा कर रहे हैं। मुझे तो समझ नही आ रहा की इनको आखिर हुया क्या है।

मेरी सास: तो तुमने क्या फैसला लिया है?

मैं: मैं अपनी अम्मी और अब्बू के घर चली जाऊंगी।

मेरी सास: क्यों?

मैं: क्योंकि जिस घर में मेरी कोई इज्जत नहीं वहां मुझे नहीं रहना।

मेरी सास कुछ वक्त तक खामोशी से मुझे देखने लगी। फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने फिरसे मुझसे बात करना शुरू किया।

मेरी सास: बहू! तुमसे एक बात कहूं! बुरा तो नही मानोगी?

मैं: नही अम्मी जी। आप कहिए।

मेरी सास: जो कुछ तुम दोनो के बीच में हो रहा है वो तुम्हारी ही गलती है। 

मैं: ये आप क्या कह रही हैं अम्मी जी? मेरी गलती? आज तक वो मेरे साथ सिर्फ लड़ाई करते थे। लेकिन आज तो उन्होंने मेरे ऊपर हाथ उठाया, थप्पड़ मारा है मुझे।

मेरी सास: पता है मुझे। लेकिन इसमें कुसूर तुम्हारा ही है।

मैं: क्या!!!

मेरी सास: बिलकुल सही कह रही हूं मैं बहू।

मैं: जाहिर है कि आबिद आपके बेटे हैं इसलिए आप उन्हिको सपोर्ट करेंगी। मुझे ही कुसूरवार ठहराएंगी।

ये कहकर मैं वहां से जाने लगी।

मेरी सास: बैठो बेटा। मेरी बात अभीतक खतम नहीं हुई। मैने तुम्हे पहले ही कहा था कि तसल्ली से मेरी बात सुनना।

मैं वापस उनके पास बैठ गई। और उनकी बातें सुनने लगी।

मेरी सास: सबसे पहले तो तुम अपने जेहन से ये बात निकाल दो की मैं तुम्हे अपनी बहु समझती हूं। मैने तुम्हें हमेशा अपनी बेटी समझा है।अब मैं जो भी पूछूंगी, उसका सही सही जवाब देना।

मैं: जी पूछिए।

मेरी सास: तुम्हारे और आलिम के दरमियान झगड़े कब से शुरू हुए?

मैं: मुझे याद नहीं।

मेरी सास: याद नहीं तो याद करने की कोशिश करो। मेरी नजरों में तुम्हारे और आलिम के दरमियान झगड़े आबिद के पैदा होने के बाद शुरू हुए हैं।

मैं: तो आप कहना चाहती हैं की इसकी वजह हमारा बेटा है???

मेरी सास: अरे! तुम बात को गले क्यों समझती हो? ये बात तुम भी जानती हो की आलिम अपने बेटे से कितना प्यार करता है।

मैं: जी मैं जानती हूं।

मेरी सास:- चलो एक एक करके बातों को याद करते हैं. तुम्हारे और आलिम के बीच झगड़े आबिद के पैदा होने के बाद शुरू हुए। लेकिन क्यों?

मैं:- मैं नही जानती।

मेरी सास: लेकिन मैं जानती हूं। इसकी वजह है की तुम पहले आलिम के आने पर फ्रेश होकर उसके पास बैठती थी। वो घर आता था तो तुम्हे अपना इंतेजार करता हुआ देख खुश होता था। लेकिन तुमने अब उसकी तरफ ध्यान देना बंध कर दिया है।

मैं: मैं क्या करूं अम्मीजी? ये छोटा है तो हर वक्त तंग करता है मुझे। इसलिए मैं हमेशा इसको लेकर बीसी रहती हूं।

मेरी सास: तो बेटा, तुम्हे अपना टाइम मैनेज करना सीखना होगा। और इनदिनों तुम्हारा हुलिया भी कुछ ठीक नहीं है। आलिम का भी तो कभी कभी जी करता होगा की उसकी बीवी सज धजके रहे।

उनकी ये बातें सुनकर मुझे थोड़ा बुरा लगा। क्योंकि जब मेरी नई नई शादी हुई थी, तब मैं हमेशा नई दुल्हन की तरह सज धजके रहती थी। लेकिन वक्त के साथ साथ और जिम्मेदारियां बड़ने के साथ साथ मैं अपनी तरफ ध्यान देना ही भूल गई।

मैं: आप ठीक कह रही हैं अम्मीजी। लेकिन मैं कैसे इनके लिए रोज अपने आप को तैयार करूं।

मेरी सास: देखो बेटा! तैयार होने का मतलब ये नही की तुम अच्छे से मेकअप करो। अपने सोहर के आने से पहले मुंह हाथ धोकर साफ कपड़े ही पहन लोगी तो तुम्हे देखकर उसको अच्छा लगेगा। लेकिन तुम अगर ऐसे अजीब हुलिया बनाकर रहोगी तो तुम्हे देखकर वो और फ्रास्ट्रेट हो जायेगा। इस बात का ध्यान रखना हमेशा।

मैं: जी अम्मीजी। मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगी।

मेरी सास: चलो कोई बात नही। ऐसा हो जाता है कभी कभी। लेकिन बात को बढ़ाना नही चाहिए। आज रात को उसकी पसंद की चीज़ें बना लेना और खुद को थोड़ा तैयार रखना। वो मान जाए गा। ठीक है!

मैं: जी अम्मीजी। जैसे आपने कहा है में वैसा ही करूंगी।

मेरी सास: अपने सोहर को कभी मत रोको। उसको अपने दिल का राजा बनाओ और खुद उसकी मल्लिका बन जाओ। उसको लुभाओ। ताकि वो और ज्यादा तुमसे प्यार करे। उसको अपना जलवा दिखाओ।

मैं: लेकिन अम्मिजी, ऐसा कैसे कर सकती हूं मैं?

मेरी सास: क्यों नहीं कर सकती? देखो बेटा! वो तुम्हें अपनी जिंदगी का साथी बना के लाया है। हर मर्द चाहता है की उसकी जिंदगी में रोमांस हो। अगर तुम उसको वो प्यार नही दोगी तो वो बाहर ढूंढेगा। तुम उसके घर की मल्लिका हो। लेकिन बेडरूम के अंदर उसको राजा बनाओ। उसकी हर बात मानो। फिर देखो वो क्या कुछ नहीं करता तुम्हारे लिए। तुम्हारी हर खुशी के लिए वो पूरी दुनिया से लड़ जायेगा।

मैं: लेकिन अम्मीज़ी मुझे अजीब लगता है। उनकी फरमाहिशें भी थोड़ी अलग होती हैं।

मेरी सास: मैने इसी लिए तुमसे कहा बेटा। की अपने सोहर की खुशी के लिए तुम्हें सब करना होगा। चाहे तुम्हे पसंद हो या न हो। देखना शुरू शुरू में तुम्हे अजीब लगेगा। लेकिन धीरे धीरे तुम्हे अच्छा लगेगा।

मैं सचमे डर गई की अगर मेरे सोहर किसी दूसरी औरत के साथ उलझ गए तो मेरा क्या होगा?

मेरी सास: (मुझे सोच में देख कर) क्या हुआ बेटा? कहां खो गई?

मैं: कही नही अम्मीजी। आप सच कह रही हैं। इसमें मेरी भी कुछ गलतियां हैं। मैं आपसे वादा करती हूं की आज से इन सब चीजों का ख्याल रखूंगी। मैने अपने बेटे के लिए दूध बनाकर तैयार रखा है। अगर आबिद रोने लगे तो उसे वो दूध पिला दीजियेगा। मैं जरा हमसाई के घर जा रही हूं पार्लर में। मुझे थोड़ा वक्त लग सकता है।

मेरी सास: बेफिक्र होकर जाओ बेटा। मैं इसको संभाल लूंगी।

मेरी सास ने मेरा माथा चूमा और मैं घर से निकलने लगी तो मेरे दिमाग में ये गाना घूमने लगा, "सजना है मुझे सजना के लिए"।

और मैने अपने कदम बढ़ा दिए पार्लर की तरफ क्योंकि मुझे अपनी गलती सुधारनी थी और अपने सोहर को मनाना था और ये प्रूव करना था की, "मैं रण्डी हूं अपने सोहर की"।

पार्लर में मैं अपने आपको तैयार कर रही थी। क्योंकि मुझे अपनी गलतियों का एहसास हो रहा था। साथ ही ये ख्याल भी आया की अगर मैं आज अपनी सास की बात न सुनकर अपने अम्मी अब्बू के घर चली जाती और इन सब बातों को लेकर हमारी तलाक हो जाती तो क्या होता? हमारे बेटे का भविष्य क्या होता? मैने दिल ही दिल में फैसला किया की मैं अपनी गलती सुधारूंगी और अपने सोहर की ख्वाहिशों को पूरा करूंगी।

मैने पार्लर में अपने पूरे जिस्म की वैक्सिंग करवाई। मेरा बदन बिलकुल नरम और मुलायम होकर चमकने लगा। ये सब करने में मुझे दो घंटे लगे। इसके बाद मैं पार्लर में पैसे देकर अपने घर आ गई।

शाम को मेरे सोहर घर आने से पहले मैं नहा धोकर फ्रेश हो गई। वो जब घर आए तो मेरे बदले हुए हुलिए को देखकर चौंक गए।

मेरे सोहर: तुम......तुम....

मैं: क्या हुआ? क्या देख रहे हैं आप?

मेरे सोहर: तुम काफी बदली हुई नजर आ रही हो।

मैं: क्यों अच्छी अच्छी नहीं लग रही हूं क्या? 

मेरे सोहर: बहुत खूबसूरत लग रही हो। ऐसे तो तुम आबिद के पैदा होने से पहले तैयार होती थी।

 मैं थोड़ा शरमा गई। आखिर वो मेरे सोहर थे।

मेरे सोहर: अच्छा सुनो, सुबह के लिए मुझे माफ कर दो। मैने गलतीसे तुमपर हाथ उठाया।

मैं: कोई बात नही। कभी कभी ऐसा हो जाता है। आप परेशान मत होइए। ऊपर से मैने भी गुस्सा किया। आप भी मुझे माफ कर दें।

मेरे सोहर: क्या हो गया है तुम्हे? गलती मेरी और माफी तुम मांग रही हो। चलो ठीक है, अगर हम दोनो के बीच अनबन खतम हो गई हो तो बाहर कही घूमने चलें?

मैं: नही! बाहर नहीं। मैने आज अपने हाथों से आपकी मनपसंद की चीज़ें बनाई हैं। आप फ्रेश हो जाइए तब तक मैं डिनर लगाती हूं।

मेरे सोहर मेरी बातें सुनकर खुश हो गए और फ्रेश होने चल इगाये। मेरी सास आबिद को अपनी गोद में लेकर बैठी हुई थीं और मुस्कुरा रही थी। आखिर उनकी कही बात सच हो रही थी। मेरे भी दिल में जो नफरत पैदा हुई थी वो धीरे धीरे खतम हो रही थी। और अब उस जगह पर मोहब्बत पैदा हो रही थी। हो वक्त गुजरने के साथ साथ बढ़ रही थी।

हम सबने एक साथ खुशी खुशी डिनर किया और फिर अपने अपने कमरे में चले गए। मैंने किचन का काम खत्म किया और फिर मैं कमरे में आई। मेरे सोहर तबतक जगे हुए थे। आज बहुत दिनों के बाद ऐसा हुआ था कि जब मैं कमरे में आई तो मेरे सोहर जगे हुए थे। ज्यादातर दिनों में जब मैं कमरे में आती थी तब वोह सो जाते थे।

मैं: आप अभी तक जगह हुए हैं जगे हुए हैं? 

मेरे सोहर: हां, तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था। 

मैं: मेरा इंतजार, मगर वो क्यों? 

मेरे सोहर: तुमसे सॉरी कहना था। ये बोलकर ही उन्होंने मुझे अपने सीने से लगा लिया। मेरी दिल की धड़कने बड़ गई थी। आज कई महीने बाद मेरे शौहर ने मुझे इस तरह अपनी बाहों में लिया था।

मेरे सोहर: जान आई लव यू। 

मैं: मि टू। 

मेरे सोहर: जान क्या तुम मुझसे नाराज हो? 

मैं: नहीं तो। 

मेरे सोहर: पक्का ना? 

मैं: हां बिल्कुल। मैं आपसे क्यों नाराज होने लगी भला। 

मेरे सोहर: आज मुझसे गलती हुई ना इसलिए। 

मैं: चलिए छोड़िए इन सब बातों को। कभी कभी ऐसा हो जाता है। मुझे आपकी बात का बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा।

मेरे सोहर: तुम बहुत अच्छी हो। क्या ख्याल है, आज थोड़ी बेईमानी हो जाए? 

मैं: बेईमानी! मतलब? 

मेरे सोहर: आओ ना, आज बहुत मूड हो रहा है। तुम इतनी हसीन लग रही हो की मुझसे और सबर नहीं हो रहा है। 

मैं एकदम से शर्मा गई। 

मैं: मैं तो आपकी हूं। आपके लिए ही यहां पर हूं। जैसा आपका दिल करे, जब आपका दिल करें आप मुझसे प्यार कीजिएगा। 

मेरे सोहर यह सुनकर बहुत खुश हो गए और फिर मेरे होठों को चूमने लगे। मैं भी उनका भरपूर साथ दे रही थी। थोड़ी देर बाद हम दोनों के होंठ एक दूसरे से अलग हुए तो मैंअपने सोहर की आंखों में देखने लगी। उनकी आंखों में मुझे बेइंतेहा खुशी दिख रही थी। उनकी आंखें जैसे उनके दिल का हाल बता रही हो जहां सिर्फ और सिर्फ मेरा चेहरा था। उन्होंने मुझे बिस्तर पर लेटाना चाहा तो मैंने उनको रोक दिया। 

मेरे सोहर: क्या हुआ मेरी जान? 

मैं: कुछ नहीं। आप थोड़ा रुकिए, मैं जरा फ्रेश होकर आती हूं।

इसके बाद मैं कपड़ों वाली अलमारी की तरफ गई वहां से मैंने एक बहुत ही सेक्सी नाइटी निकाली और वॉशरूम चली गई। यह नाइटी जाली वाले कपड़े की बनी हुई थी। इसे पहनने के बाद बाहर से मेरा पूरा जिस्म साफ नजर आ रहा था। मेरे सोहर यह मेरे लिए निकाह के बाद लाए थे। लेकिन मैंने इसको एक दफा भी नहीं पहना। पर पता नहीं की आज क्यों मेरा दिल कर रहा था इस नाइटी को पहनने का। मैंने वॉशरूम में आकर अपने सारे कपड़े उतार दिए और वह नाइटी पहन ली। हल्का सा मेकअप भी लगाया। इस नाइटी के अंदर से मेरे बड़े गोल स्तन एकदम साफ नजर आ रहे थे। मेरे भूरे रंग के निप्पल भी नजर आ रहे थे। इसमें मैं एकदम हॉट और सेक्सी लग रही थी। मेरी चूत भी बाहर से दिख रही थी। इसके बाद में थोड़ी देर तक मैं अपने आप को वॉशरूम के अंदर के आईने के जरिए देखने लगी। इसके बाद मैं बाहर आ गई जहां मेरे पति मेरा इंतजार कर रहे थे।

जैसे ही मैं अंदर कमरे में आई तो मेरे सोहर मुझे देख कर एक दम से चौंक गए। वह करीब करीब दो-तीन मिनट तक मुझे देखते ही रह गए। इसके बाद मैं धीरे धीरे उनके पास गई।

मेरे सोहर मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे कि उनको कोई शोक लगा हो। 

मैं: क्या हुआ है आपको? आप क्या देख रहे हैं? 

मेरे सोहर: तुम्हारे खूबसूरत बदन को। मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा की तुम यह नाइटी पहन कर आई हो। मैंने हमारे निकाह के बाद तुमको यह नाइटी गिफ्ट की थी। लेकिन तुमने कभी नहीं पहनी। 

मैं: लेकिन मैंने आज पहन ली सिर्फ आपकी खुशी के लिए।

मेरे सोहर: तुम बिल्कुल किसी फिल्म की हीरोइन लग रही हो। 

अपने शौहर के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर मैं शरमा गई और अपना सिर नीचे करके मुस्कुराने लगी। मेरे सोहर मेरे करीब आए और मुझे अपनी बाहों में भर लिया।

मेरे सोहर: मेरे लिए इतना सजने का शुक्रिया। 

मैं: मैं आपकी बीवी हूं। यह तो मेरा फर्ज बनता है कि मैं आपके लिए सज धज के रहो रहूं और आपसे प्यार हासिल करूं।

मेरे सोहर: आई लव यू जान, तुम बहुत प्यारी लग रही हो आज। दिल करता है कि आज तुमसे खूब प्यार करूं। 

मैं: हां हां बिल्कुल आज आप मेरे ऊपर अपने प्यार की बरसात कीजिए। 

मेरे सोहर:तो तुम्हारा मतलब है कि मैं तुम्हें जैसे चाहूं वैसे प्यार करूं? 

मैं: हां मेरी जान, आपका जैसा दिल करें आप वैसे मुझे प्यार कीजिए।

मेरे सोहर इस बात पर बेहद खुश हुए। हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे। एक दूसरे की जवानों को चूसने और चाटने लगे। एक खुमारी सी मेरे ज़हन पर छाने लगी। आज कितने दिनों के बाद या कहूं तो महीनों बाद मेरे शौहर मुझसे प्यार कर रहे थे। उनके हाथ मेरे जिस्म पर घूम रहे थे और मेरी सांसे भारी होने लगी। मेरी नाइटी को तो उन्होंने कब की उतार फेंकी। मैं उनके सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी।

इससे पहले मैंने अपनी चूत के सारे बाल काट लिए थे। मेरे सोहर मेरी उस साफ-सुथरी चूत को देख रहे थे। उस वक्त शर्म से मेरा बुरा हाल हो गया था। इससे पहले उन्होंने कभी इस तरह से मेरी चूत को नहीं देखा था। लेकिन अब मैं उनके सामने अपनी टांगे फैलाकर अपनी चूत खोल कर लेटी हुई थी। 

मेरे सोहर: तुम्हारी चूत तो बहुत ही खूबसूरत है। 

मैं: आप भी ना, कैसी नॉटी नॉटी बातें करते हैं। आपकी मोहब्बत ही है जो मुझे इतनी खूबसूरत बनाती है। आपकी चाहत की वजह से ही आज हमारा बेटा हमारे पास है।

मेरे सोहर: जानु! तुमने कहा था आज तुम नहीं रोकोगी मुझे कुछ भी करने से।

मैं: जी हां।

मेरे सोहर: तो मैं तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूं। 

असल में मैने इससे पहले किसी से अपनी चूत नहीं चटवाई थी इसलिए मुझे उनकी बात सुनकर थोड़ा अजीब लगा। 

मैं: लेकिन जानू वह जगह तो काफी गंदी होती है ना? 

मेरे सोहर: किसने कहा मेरी जान तुमसे कि वह जगह गंदी होती है। गंदी होगी किसी और की चूत। तुम्हारी चूत तो कितनी साफ-सुथरी है।

मैं: अच्छा ठीक है कर लीजिए लेकिन.... 

मेरे सोहर: लेकिन वेकीन कुछ नहीं। देखना तुम्हें भी बहुत मजा आएगा। 

यह कह कर मेरे शौहर ने मेरी चूत पर अपना मुंह लगा दिया। पहले वह मेरी चूत पर किस करने लगे। फिर अपनी जुबान से चाटने लगे। मेरी चूत में तो जैसे आग लग गई थी ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। पहले जब मेरे सोहर मुझे चूत चटवाने को बोलते थे तो मैं हमेशा मना कर देती थी। अगर मुझे पहले पता होता की चूत चाटने से इतना अच्छा लगता है तो मैं हर रोज उनसे अपनी चूत चटवाती।

मेरे सोहर तो मेरी चूत को चाटने में मगन हो गए जबकि मेरा हाल बुरा होने लगा। मैं आह ह ह ह उह ह ह करके अपने मुंह से आवाजें निकालने लगी। ऐसा लग रहा था कि मैं मजे से बेहोश हो जाऊंगी। मेरे सोहर मुझे जन्नत की सैर करवा रहे थे। कभी वह मेरी चूत को चाटते तो कभी अंदर की तरफ अपनी जुबान डालने की कोशिश करते।

मैं उनकी जुबान के चले जादू को ज्यादा देर तक बर्दाश्त ना कर सकी और अपनी कमर हिलाते हुए अपनी चूत का सारा पानी मेरे शौहर के मुंह में छोड़ दिया। उन्होंने एक ही बार में वो सारा पानी पी लिया। फिर वह मेरे पास आकर लेट गए।

मेरे सोहर: कैसा लगा मेरी जान। 

मैं: बहुत मजा आया जानू। लेकिन आई एम सॉरी 

मेरे सोहर: सॉरी किस लिए। 

मैं: वह इसलिए कि मुझे पता नहीं चला और मैंने आपके चेहरे पर ओर्गास्म कर दिया। पहले आपको बता देती तो... 

मेरे सोहर: अरे मेरी जान मुझे तुम्हारा पानी बहुत टेस्टी लगा। इसी पानी को ही तो मैं पीना चाहता था कब से। लेकिन तुम हमेशा मना कर देती थी। 

मैं: क्या सच में? 

मेरे सोहर: हां मेरी जान 

मैं: (मन ही मन में मेरे शौहर ने मुझे कितना मजा दिया लेकिन इनका तो अभी हुआ ही नहीं । इनका तो अभी तक बस खड़ा हुआ है। अब मेरा फर्ज यह है कि मैं इनका लंड चूस दूं जो आज तक मैंने कभी नहीं किया। लेकिन आज इनकी खुशी के लिए मुझे ये करना ही होगा।) तब तक मेरे सोहर मेरे पास से उठ चुके थे और मेरी टांग उठा कर अपना लंड मेरी चूत पर सेट कर चुके थे। इससे पहले की उनका लंड अंदर जाता इससे पहले ही मैंने उनको रोक दिया। 

मैं: रुकिए थोड़ा। 

मेरे सोहर: क्या हुआ मेरी जान? 

मैं: अपना लंड बाहर निकलिए। 

मेरे सोहर: क्यों? 

मैं: मुझे आपका लंड चूसना है। 

मेरे सोहर: लेकिन तुम तो इतने दिनों से मुझे मना करती थी।

मैं: लेकिन अब मैं मना नहीं करूंगी आपको।

मेरे सोहर: ठीक है करो फिर।

मैं: पहली बार चूस रही हूं। अगर बुरा लगा तो माफ कर दीजियेगा।

ये कहकर मैंने उनको सीधा लेटा दिया। और फिर उनके लंड पर झुंक गई। मैं आहिस्ता आहिस्ता उनके लंड को चाटने लगी और हाथ से उसकी मालिश करने लगी। उनका लंड बालों से भरा हुआ था। मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था। लेकिन लंड के आस पास की गंध मुझे ज्यादा बुरी नही लगी। मैं उनके लंड के चारों तरफ अपनी जीभ घुमाती रही। फिर मैंने उसको अपने मुंह में ले लिया। मैंने सिर्फ १ से २ इंच ही अपने मुंह में लिया था। मैं कोशिश कर रही थी की मेरे दांत उसपर न लग जाएं।

मैं जब आहिस्ता आहिस्ता उनके लंड को चूस रही थी तब वो अपने मुंह से आह ह ह..... आह ह ह....... आह ह ह करके आवाजें निकल रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने अपना हाथ मेरे सर पर रखके नीचे की तरफ धक्का दिया, और उनका पूरा लंड मेरे मुंह में घुस गया। उनका लंड मेरे गले के अंदर घुस गया। मुझे ऐसा लग रहा था की मेरी सांस अटक जायेगी। फिर मैने धीरे धीरे उनके लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर करना शुरू किया। थोड़ी देर तक चूसने के बाद उन्होंने मेरे मुंह से अपना लंड निकाल लिया और मुझे अपने ऊपर खींच कर किस करने लगे। मैं उनके ऊपर cowgirl पोजिशन में लेटी हुई थी।

मैं किस करने में मगन थी। तभी मेरे सोहर ने मेरी चूत में अपना लंड फिट किया और आहिस्ता आहिस्ता अंदर डाल दिया। मेरे मुंह से आह ह ह आवाजें निकलने लगी। लेकिन उन्होंने मेरे होंठ अपने होठों से लगाकर रखा था। इसलिए मेरे मुंह से निकली आवाजें उनके मुंहमेही दब गई। वो अपनी कमर हिलाते हुए नीचे से धक्के लगा कर मुझे चोदने लगे।

मेरे सोहर: अब तुम मेरे लंड के ऊपर उछलो मेरी जान। मेरे लंड पर उछल कर मजा लो और मुझे भी दो।

मैं उनकी बात सुनकर सीधी हुई और आहिस्ता आहिस्ता उनके लंड पर उछलने लगी। उछलने के साथ साथ मेरे स्तन भी उछलने लगे। मेरे सोहर अपने दोनो हाथों से मेरे नरम और मुलायम स्तनों को जोर जोर से दबाने लगे। इससे मैं बोहत ज्यादा उत्तेजीत हो गई। दबाते दबाते वो मेरे निपल्स को अपनी उंगलियों से रगड़ने लगे। इससे मुझे बोहोत अछा लग रहा था। मेरी सांसे तेज हो गई थी। मेरा चेहरा शर्म की लाली से सुर्ख हो रहा था। जब की मेरी चूत का पानी बाहर निकल कर मेरे सोहर के लंड के आस पास फैल रहा था।

मैं: चोदिए मुझे, और जोर जोर से चोदिये मुझे। चोद चोदके मेरी चूत सुझा दीजिए। अपनी सारी मलाई मेरे अंदर डाल दीजिए। आह ह ह आह ह ह.....

ऐसे और १० मिनट चोदने के बाद उन्होंने मुझे अचानक अपनी छाती के ऊपर लेटाकर दोनो हाथों से मुझे कसके जकड़के किस करते हुए मेरे गर्भ में अपना बीज मतलब की अपना माल दल दिया। मैंने भी अपने मुंह से उम्म्म म म आवाज निकालके उनकी पूरी मलाई अपने अंदर भर लिया।

इसके बाद हम दोनो थक कर लेटे रहे। लेकिन मैं महसूस कर पा रही थी की मेरी चूत के अंदर से उनका माल टपककर चूत के बाहर गिर रहा था। 

उसरात उन्होंने मुझे और २ बार चोदा। इससे मेरी चूत काफी सूझ गई थी। अगले दिन सुबह मैं थोड़ा लंगड़ाकर चल रही थी तो अम्मीजी ने मुझसे कहा, "कल की रात कैसी रही?" और मैं शर्म से लाल हो गई।

उस दिनके बाद मुझे हर तरफ खुशियां ही खुशियां दिखाई देने लगी। मेरे सोहर अब मुझे पहले से ज्यादा प्यार करते हैं। अलग अलग तरीकों का इस्तेमाल करके मुझे चोदते हैं। उस घटना के अब १० साल बीत चुके हैं और हमारी एक बेटी भी हो चुकी है। लेकिन हम दोनो के अंदर का प्यार पहले की तरह ही है।

अब मुझे पता चल चुका है की मैं भी रण्डी बन चुकी हूं। उन्होंने चोद चोदके मेरी चूत की प्यास को बढ़ा दिया है।

इसलिए अब आप लोग कह सकते हैं की, "मैं हूं अपने सोहर की रण्डी"।

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