शीतल की रण्डी बनने की चुदाई कहानी–५

शीतल की रण्डी बनने की चुदाई कहानी–५

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विशेष सूचना: ये कहानी और इसके सारे चरित्र काल्पनिक है। किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के साथ इनका सादृष्य केवल एक संयोग है।

वसीम ने कहा- "मैं आ गया है, दरवाजा खोल दो प्लीज..."


शीतल फिर से उनींदी आवाज में ही- "हाँ आती हूँ.." बोली और खुद को अइजस्ट कर ली। उसने खुद को एक बार आईने में देखा और गाउज को ठीक से अइजस्ट की जिसमें बलीवेज चचियों की गोलाईयों के साथ दिखें।

शीतल ऐसे चलकर बाहर आई, जैसी कितने नींद में हो। उसने बाहर की लाइट जला दी और दरवाजा खोल दिया।

दरवाजा खुलते ही बसीम की आँखों के सामने शीतल की गोरी चूचियां चमक रही थी। वसीम तो शीतल की आवाज सुनकर ही लण्ड टाइट किए बैठा था। एक झटके में उसे अंदाजा लग गया की उसकी होने वाली चंडी अभी भी बिना ब्रा के है और उसी को दिखाने के लिए डीप नेक गाउन पहनी हुई है। उसका मन किया की हाथ बढ़ाए और इन दूध से भरी बसमलाईयों को पकड़कर जिचोर दे और चूस लें। वसीम को पता था की शीतल भी यही चाहती होगी, और अगर उसनं ऐसा किया तो छोटी मोटी आक्टिंग के अलावा और शीतल कुछ लेकिन वसीम ने खुद पे काबू किया और बोला- "सारी, आप लोगों को परेशान किया..'


शीतल उल्टे कदम ही पीछे होती हई बोली। ताकी उसकी चूचियों को थिरकन को वसीम अच्छे से देख सके। कल बिकास मौजूद था तो इन्हें बुरा लग रहा होगा लेकिन आज काई नहीं है तो ये अच्छे से देख सकें मुझे। शीतल बोली- "इसमें परेशानी की क्या बात है?"

वसीम ने दरवाजा लाक कर दिया और ऊपर जाने लगा। शीतल को लगा की ये क्या हो रहा है। ये तो जा रहे हैं।

शीतल तुरंत बोली. "खाना खाकर आए हैं या अभी बजाएंगे। आइए यहीं खा लीजिए, मैं बनाकर रखी हूँ.."

वसीम नजरें नीची किए हुए ही चलते हुए बोला- "नहीं शुक्रिया, मैं खाकर आया हैं। सो जाइए आप भी। शुक्रिया फिर से और माफी मांगता हैं परेशान करने के लिए...' बोलता हआ वसीम सीटियों पे चल दिया और शीतल उगी सी खड़ी की खड़ी रह गई।

शीतल को यकीन नहीं हआ की ये आदमी ऐसा है। उसे लगा था की इस तरह के कपड़े और अकेली पाकर वो पकड़कर शीतल से बातें करने लगेगा और शीतल उसकी मदद कर पाएगी उसके अंदर के जमे हए गुबार को बाहर करने में। उसे गुस्सा भी बहुत आया और फिर विकास की वही बात याद आई की इसे अपने उम्र की वजह से शर्म आती होगी, नहीं तो जी तो चाहता होगा उसका की तुम्हारे साथ खूब मस्ती करें।
शीतल को जोर का गुस्सा आया। उसका मन किया की अभी वसीम पे बरस पड़े। वा वहीं खड़ी थी और वसीम सीढ़ियां चढ़ता हुआ ऊपर चला गया। शीतल का मन हुआ की वसीम को खींचकर रोक लें और उससे पूछे की अगर अभी नजर उठाकर देख भी नहीं सकते, बात भी नहीं कर सकते तो दिन में क्या करते हो? लेकिन गुस्सा दिखना सही नहीं होगा। वो तो वही कर रहे हैं जो एक शरीफ इंसान को करना चाहिए।

फिर उसने सोचा की जाती हैं ऊपर और अच्छे से बात कर ही लेती हैं आज। वो दो-तीन सीढ़ी चढ़ी भी लेकिन इससे आगे की उसकी हिम्मत नहीं हुई। वो सोचने लगी की इतनी रात को अगर में उनके गम में जाऊँगी तो ये ठीक नहीं रहेगा। कल दिन में पूछ लेंगी। वो तो शरीफ इंसान हैं, लेकिन मैं क्यों रंडी जैसी हरकत कर रही हैं? शीतल कल दिन में कैसे क्या बात करेंगी सोचती हई अपने रूम में आ गई।

विकास ने आधखुली आँख से अपनी बीवी को अंदर आते देखा। उसे सदमा लगा। शीतल उसे सोया हुआ मानकर दरवाजा खोलने की जो तैयारी कर रह रही थी। विकास वो सब अपनी अधखुली आँखों से देख रहा था। उसे अब यकीन हो चला था की उसकी कमसिन जवान बीवी उस बूटै बसीम के चक्कर में हैं। जितनी देर शीतल रूम से बाहर दरवाजा के पास थी, विकास सोच रहा था की वसीम और शीतल क्या कर रहे होंगे?

विकास के अनुसार शीतल दरवाजा खोली होगी और वसीम के सामने उसकी गोल मुलायम गोरी चूचियां चमक उठी होगी। वसीम देखता रह गया होड़ा। उसने अपनी नजरें नीची कर ली और शीतल को थैक बोलतं हआ पीछे हटने बोला लेकिन शीतल हटी नहीं और उससे सट गई। उसने चूचियां वसीम के सीने से दबा दी और वसीम को पकड़ लिया। अब वसीम के लिए कंट्रोल मुश्किल था। वो शीतल के होठों को चूमने लगा और नाइटगाउन की बीच दिया। शीतल की चूची बाहर आ गई और वसीम पागलों की तरह उसे मसलता हआ चूसने लगा। शीतल आहह... उहह... कर रही थी.." सोचते हये विकास का लण्ड पूरा टाइट हो चुका था। लेकिन शीतल के अंदर आने से उसे बहुत बुरा लगा की उसकी इतनी हसीन बीवी को वसीम भाव नहीं दे रहा।



शीतल को भी लगा था की अभी तो बसीम उससे बात करेंगा ही और देखेंगा हो लेकिन ऐसा हुआ नहीं। शीतल सो गई और उसकी नाइटी दीली हो गई जिससे उसकी चूचियां बाहर आ गई। विकास को नींद नहीं आ रही थी

और उसका लण्ड टाइट था। शीतल की चूची को देखकर बो उसे सहलाने और चूसने लगा। शीतल नींद में थी और गरम थी। वो सपने देख रही थी की वसीम उसके साथ ऐसा कर रहा है। वो मुश्करा रही थी और विकास का पूरा साथ देते हए वो पूरी गरम हो चुकी थी।

विकास ने शीतल की नाइटी को सामने से पूरा खोल दिया और शीतल का गोरा जिश्म चमक उठा। विकास ने लण्ड को शीतल की चूत में लगाया और अंदर डाल दिया। शीतल कमर उठाकर और अंदर लेने के लिए उछलने लगी, लेकिन वसीम का लण्ड होता तब तो अंदर जाता। था तो ये विकास का ही लण्ड। शीतल की नींद खुल गई और उसका मूड आफ हो गया। वो विकास को हटाने लगी।

विकास पहले से ही पूरा टाइट था, लण्ड अंदर डालते ही 8-10 धक्के में उसने पानी छोड़ दिया। शीतल को अब गुस्सा आ गया और उसका मन किया की विकास से खूब झगड़ा करें लेकिन रात थी इसलिए वो मन मसोसकर रह गई और विकास को अपने ऊपर से उतारकर बाथरुम चली गई।

शीतल नाइटी उतार दी थी और नंगी ही बाथरूम गई थी। पेशाब करने के बाद वो चूत सहलाने लगी। सोचने लगी की कितना अच्छा सपना था की वसीम मुझे चूमते हए मेरी चूची को सहला रहे थे, और फिर नाइटी की डारी खोलकर नंगी चूचियों को सहला रहेज थे, और चूस रहे थे। आहह... कितना अच्छा होता की ये वसीम ही होतं, विकास नहीं होता। आहह... वसीम का लण्ड चूत में कितना अंदर तक जाता आहह... आहह... वसीम क्यों नहीं आपने पकड़ लिया मुझे दरवाजा पै? क्यों नहीं मुझे चूमने लगे? खोल देते मैरी नाइटी को और अच्छे से देखतें मेरे नगे जिस्म का। देखतं उस जगह को जहाँ में पैंटी ब्रा पहनती हैं। छ लेते उस जगह को। चमतं ममलत मेरी चूचियों को। जो वीर्य आप पैंटी बा पे गिराते है वो उस जगह पे गिरते जहाँ मैं उन्हें पहनती हैं। आह्ह. वसीम चाचा चोद लेते मझे। मेरी चूत में डाल देते अपना मोटा लण्ड और गिरा देते वीर्य मेरी चूत में। आहह... उम्म्म्म ... शीतल की चूत में पानी छोड़ दिया और वो हौंफती हुई बाथरूम से आ गई।

शीतल को चोदने के बाद विकास सो गया था। शीतल किचन में जाकर पानी पिया और फिर सोने आ गई। पहली बार आज शीतल नंगी सो रही थी। शीतल सोचने लगी की ये क्या सोच रही थी वो? ये कैसा सपना था की उसका पति बिकास उसे चोद रहा था लेकिन वो सोच रही थी की वसीम से चुद रही है। क्या मैं सच में वसीम से चुदवाना चाहती हैं? हौं, तभी तो मैं दरवाजा पे ऐमें गई थी। अगर वसीम चाचा मुझे कुछ करते तो क्या मैं उन्हें रोक पाती? बिल्कुल नहीं। मैं उनसे चुदवाना चाहती हूँ तभी तो उनके वीर्य की खुश्बू मुझे पागल कर देती है। और जो आदमी मेरी पैंटी ब्रा पे वीर्य गिराता है राज तो वो मुझे चोदने का सोचकर ही वीर्य गिराता होगा, कोई भजन गाकर तो वीर्य नहीं ही गिरता होगा।

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मुझे चोदकर ही वसीम चाचा रिलैक्स हो पाएंगे। नहीं तो वो शरीफ इंसान अंदर ही अंदर घुट-घुट कर मार जाएगा। कल मैं उनसे सीधी-सौंधी बात करेंगी, और अगर वो मुझे चोदना चाहेंगे तो मेरा जिस्म पेंश हैं उनकी मदद के लिए। मेरी वजह से वो आदमी मर रहा है तो ये पूरी तरह मेरी जिम्मेवारी है की मैं उन्हें इससे बाहर निकालं, चाहे भलें इसके लिए मुझे उन्हें अपना जिम ही क्यों ना देना पड़े।

शीतल के अंदर से आवाज आई- "तू रंडी हो गई है क्या, जो दूसरे मर्द से चुदवाने की बात सोच रही है? तू ऐसा सोचकर भी पाप कर रही है। अपने पति को धोखा देगी त? वसीम के बड़े लण्ड के लालच में तू विकासको धोखा देंगी?"

अंदर से शैतान ने जवाब दिया- "धोखा वाली कौन सी बात हो गई? मैं तो वसीम की मदद करगी, क्योंकी वो मेरी वजह से दर्द सह बहा है। इतने सालों से वो अकेला है और अब मेरी वजह से तड़प रहा है, तो मेरा ही फर्ज हैं उसकी मदद करना। और मैं उससे चुदवाने नहीं जा रही हैं। मैंने कहा की अगर मुझे अपना जिश्म देकर भी उसकी मदद करनी पड़ी को करेंगी। अगर मैं उससे चदबाऊँगी हो तो कौन सा राज चदवाऊँगी?

शीतल की वसीम से चोदवाने की ख्वाहिश

शीतल साचती-सोचती नींद के आगोश में जा चुकी थी। सुबह जब नींद खुली ता नंगी थी शीतल। शीतल राज सवेरे जागकर फ्रेश होती थी और फिर नहाकर पूजा करके फिर चाप बनाती थी और विकास को जगाकर चाय देती थी। शीतल नंगी ही बेड से उठी और फ्रेश होकर नहाने चल दी। पहली बार वो अपने घर में ऐसे नंगी घूम रही थी। नहाने के बाद वो एक साड़ी पहन ली और पूजा करने लगी। फिर चाय बनाकर उसने विकास को जगाया और फिर किचेन के काम में लग गई।

शीतल का ये सब डेली रुटीन था लेकिन शीतल का ध्यान दोपहर पे था की आज वो बसीम से फाइनल बात करके रहेंगी।

विकास आफिस चला गया और शीतल एक बजे का इंतजार करने लगी। उसके मन में बहुत उथल-पुथल मची हुई थी। आज वो स्टोररुम में नहीं गई। उसका प्लान था की जब वसीम पैंटी बा हाथ में लेकर मूठ मार रहा होगा तब वो ऊपर जाएगी और वसीम से क्लियर कट बात करेंगी।

आज फिर उसका दिल तेजी से धड़क रहा था की क्या होगा? कहीं वसीम ने मुझे चोदने की बात कह दी तो क्या मैं उसी वक़्त चुदवा लेंगी? अगर उन्होंने मना कर दिया और गलती मानते हुए बोल दिया की आगे से ऐसा कभी नहीं करेंगे तो? नहीं नहीं। मैं उन्हें गलती नहीं मानने गुज़ारा । इस तरह तो वो और शर्मिंदगी महसूस करेंगे और अंदर-अंदर ही और घुटेंगे। मुझे उन्हें समझाना होगा की आपने जो किया उसमें कुछ गलत नहीं है और आप तो बहुत महान हैं की बस ऐसा करके खुद को सम्हाल लेते हैं। मेरे सामने रहने में भी मुझे देखते भी नहीं। आपकी जगह कोई और होता तो रोज जो दिन भर मैं अकेली होती हैं, पता नहीं क्या करता? आपको घबराने शर्माने की जरूरत नहीं है। आप मुझसे बात कीजिए और मुझे बताइए की प्राब्लम क्या है?

दरवाजे से अंदर आते ही शीतल के घर के दरवाजा को देखकर बसीम समझ गया की उसकी होने वाली रांड़ शीतल शर्मा आज ऊपर नहीं गई है। शीतल का दरवाजा अंदर से बंद था। अगर वो ऊपर जाती तो दरवाजा या तो बाहर से बंद होता या फर खुला होता। उसे थोड़ा बुरा लगा की कहीं मैं ओवरएक्टिंग तो नहीं कर गया। ऊपर पैटी ब्रा अपनी जगह पे वसीम के वीर्य के इंतजार में टंगी पड़ी थी। वसीम रूम में गया और कपड़े चेंज करके शीतल का इंतजार करने लगा की शायद वो आए लेकिन वो नहीं आई।

बसीम अपने डेली के काम में लग गया, स्टाररूम के बाहर मूठ मारने का। उसने स्टोर रूम में झाँक कर भी देखा लेकिन वहाँ कोई नहीं था। आज बसीम का लण्ड टाइट ही नहीं हो रहा था। उसे लगने लगा की मैंने ओबर आक्टिंग कर दी हैं। रात में शीतल रंडियों की तरह बिना ब्रा पहनें क्लीवेज दिखातें सिर्फ गाउन लपटें आई थी और बात भी करने की कोशिश की। लेकिन मैं सीधा ऊपर आ गया था। कहीं राड़ ने ये तो नहीं सोच लिया की मैं उसके हाथ नहीं आने वाला, और अब वो कहीं मुझसे दूर तो नहीं रहने वाली। सही बात है यार, रोज-रोज कोई हाडिन माल सिर्फ मुझे लण्ड हिलाता देखने क्यों आएगी? नहीं मेरी जान, मैं तुझे बिना चा नहीं छोड़ सकता। अगर मैं तुझे बिना चोदें मर गया तो मेरी रूह को भी शुकून नहीं मिलेगा। मुझे कुछ करना होगा। मैं तुझे खुद से दूर होने नहीं दे सकता।

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शीतल की रण्डी बनने की चुदाई कहानी–६

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