शीतल की रण्डी बनने की चुदाई कहानी–११

शीतल की रण्डी बनने की चुदाई कहानी–११

 नमस्कार दोस्तों आप सबका chut-phodo.blogspot.com में बहुत बहुत स्वागत है। आज की कहानी शीतल की रंडी बनने की चुदाई कहानी का तीसरा  भाग है अगर आपने इस कहानी का पिछला भाग नहीं पढ़ा है तो पहले वो भाग पढ़िए और फिर ये वाला भाग पढियेगा। कहानी का पिछला भाग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें शीतल की रण्डी बनने की चुदाई कहानी–१०

विशेष सूचना: ये कहानी और इसके सारे चरित्र काल्पनिक है। किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के साथ इनका सादृष्य केवल एक संयोग है।

शीतल तब तक छई-मुई सी बनी हुई ही नजरें झकाए खड़ी रही। सच में शर्म में उसकी हालत खराब हो रही थी। सोचने और करने में वाकई फर्क होता है। वो सुहागरात मानने जा रही थी। ठीक है उसने वसीम से शादी कर ली थी, या पहले भी उसके साथ बहुत कुछ कर चुकी थी। लेकिन थी तो ये उसकी नकली सुहागरात ही, थी तो उसकी दूसरी मुहागरात। उसकी नजरों में ये सही था लेकिन दुनियां की नजरों में तो ये गलत था।

वसीम ने फिर से शीतल को गोद में उठा लिया और आहिस्ते से उसे बेड पे रखा जैसे वो कितनी नाजुक हो और कहीं टूट ना जाए। वसीम ने अपना फूलों का हार उतारकर रख दिया और शीतल के बगल में बैठ गया। शीतल शर्माती हुई बेड में खुद को सिकोड़ने लगी। वसीम में एक हाथ शीतल के कंधे पे रखा और उसके माथे पे चमा। शीतल और सिमटने लगी और इस चुबन में उसके जिस्म को झकझोर दिया। वसीम ने शीतल को थोड़ा सा झकाया और उसकी दोनों आँखों में बारी-बारी से किस किया।

शीतल की आँखें बंद हो गई थी अब। वसीम ने शीतल का भी फलों का हार उतारकर रख दिया। वसीम की नजरों के सामने शीतल के रसीले होंठ थे। वसीम पहले भी इन हसीन लबों का रस पी चका था, लेकिन आज की तो बात ही कुछ और थी। उसने शीतल को थोड़ा और झुका दिया, तो शीतल के होंठ अपने आप खुल गये। वसीम ने भी देरी नहीं की और अपने होंठ शीतल के होठों पे रख दिया और उनके रस को चूसता हुआ शीतल को बेड पे गिराता चला गया। शीतल अब सीधी लेटी हुई थी और वसीम उसके बगल में लेटा हुआशीतल के होठों को चूमने लगा और साथ ही साथ शीतल के पेट को भी सहलाने लगा था।

अब वसीम के लिए खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था। वसीम शीतल के पेंट को चूचियों से नीचे तक और लहँगे तक सहला रहा था। लाल लहँगा और चोली के बीच में गोरा चिकना पेट चमक रहा था। वसीम शीतल के होठों को चूसता हुआ उसके पेट को सामने से और बगल से सहला रहा था। शीतल गर मा रही थी। वो अपने पेंट को अंदर करने लगी, ताकी वसीम का हाथ उसके लहँगे के नीचे उसकी चूत पे चला जाए। वसीम समझ तो गया था लेकिन उसे कौन सी हड़बड़ी थी। पूरी रात उसकी थी और आज उसे रूकना भी नहीं था। शीतल को पूरी तरह पा लेना था।

वसीम अपनी जीभ को शीतल के मुँह में करने लगा। शीतल को समझ में नहीं आया की क्या करना है, तो वो भी अपनी जीभ बाहर करके वसीम के जीभ से टकराने लगी। वसीम ने शीतल की जीभ को अपने होठों के बीच में पकड़ लिया और चूसने लगा। शीतल अब पूरी तरह गरमा गई थी। अब वसीम ने अपना हाथ आगे किया और शीतल की चूचियों को चोली के ऊपर से दबाने लगा।

चोली डीप कट की थी तो उसे कोई तकलीफ नहीं थी। वो अपने हाथ को थोड़ा सा तिरछा किया और वसीम का हाथ शीतल की चोली और बा के अंदर उसकी मलपन चूची पे था। वसीम ने शीतल के निपल के करारेपन को महसूस किया। उसने चूची को हल्का सा दबाया और शीतल आह... करती हुई कमर को उठाकर बदन ऐंठने लगी। वसीम चोली के हक को खोलने लगा। सारे बटन खोलने के बाद उसने चोली के दोनों कपों को किनारे कर दिया।
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शीतल की लाल बा चमक उठी। बाउज निपल और गोरा जिस्म लाल बा के अंदर से चमक रहा था। वसीम ने बा के ऊपर से ही एक चूची को कस के मसल डाला। उफफ्फ... शीतल की हालत खराब होती जा रही थी। वसीम शीतल की ब्रा को किनारे करता हुआ निपल को मसलने लगा और बीच-बीच में चूचियों को भी मसल देता था। ब्रा बहुत साफ्ट और ट्रांसपेरेंट थी तो वो बस दिखावे के लिए ही थी।

शीतल अब जल्दी से जल्दी नंगी होना चाहती थी। उसे अपने कपड़े और ज्वेलरी बोझ लग रहे थे। वसीम शीतल की हालत समझ रहा था। वो शीतल की ज्वेलरी उतरने लगा। पहले उसने मौंगटिका उतारा और फिर नाथ। फिर उसने शीतल के कंधे को पकड़कर उठाया और उसके पीछे बैठते हुए उसके गर्दन पे किस किया और जो 4-5 तरह के हार उसने पहनें थे उन्हें उतार दिया। वसीम शीतल की चिकनी पीठ को चूम रहा था और पीठ को बगल को सहला रहा था। फिर वसीम ने शीतल की चोली को उसके बदन से अलग कर दिया। वसीम चिकनी पीठ को अपने होठों से चूमता जा रहा था।

शीतल अपने पैर को मोड़ ली और सिर को घटने में टिकाकर बैठ गई थी।

वसीम ने मेहन्दी से बने डिजाइन को देखा जो उसकी पीठ पे बना था। डिजाइन के बीच में उसे "डबल्यू लिखा हुआ दिखा और उस जगह को चूम लिया। वसीम ने शीतल की ब्रा का भी हक खोल दिया और नंगी पीठ को चमने सहलाने लगा। अब वसीम के लिए खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था। उसका वहशिपना कंट्रोल के बाहर हो रहा था। उसने शीतल को फिर से झकाया और उसके साथ उसके बगल में लेट गया। वो शीतल को करवट कर लिया और उसके सामने उसके जिस्म से चिपकता हुआ लेट गया। वो फिर से शीतल के होंठ चमने लगा और उसकी पीठ, पेट को सहला रहा था।

वसीम में हाथ को सामने किया और नीचे से ब्रा के अंदर हाथ डालता हुआ चूचियों को मसलने लगा। वो जोर जोर से चचियों और निपलों का मसलने लगा। वसीम ने बा को हाथ से निकाल दिया। अब शीतल ऊपर से टापलेश थी। अब वसीम ने शीतल को फिर से सीधा लिटा दिया और चूचियों को चूस रहा था। वसीम एक निपल को मुँह में लेकर बच्चों की तरह चूस रहा था। अगर शीतल दूध दे रही होती तो वसीम तुरंत ही उसका टैंकर खाली कर देता। वो दूसरे निपल को मसलता उंगली में लेकर जा रहा था। गोरी चूचियां लाल हो रही थी। शीतल आह्ह... उह्ह.. करने लगी थी। उसे लग रहा था की वसीम जल्दी में उसे नंगी करतें और तुरंत ही चोद डालते।

फिर वसीम दूसरे निपल को चूसने लगा और शीतल के पेंट, बगल को सहलाने लगा और पेंट सहलाते हए लहँगा के ऊपर से जांघों को सहला रहा था। शीतल का एक पैर सीधा था और दूसरा पैर उसने मोड़ लिया था। वसीम लहँगा ऊपर करना शुरू कर दिया और फिर लहँगे के अंदर हाथ डालकर वो शीतल की नंगी जांघों को सहलाने लगा था। शीतल का जिक्ष्म हिलने लगा था अब। वसीम का हाथ पैंटी के ऊपर से चूत में था और वो चूत के आसपास के एरिया को सहला रहा था। वसीम ने लहँगा का पूरा ऊपर कर दिया।

शीतल अंदर में लाल रंग की डिजाइनर पैटी पहनी थी जो आधी ट्रांसपेरेंट थी चूत के ऊपर। वसीम ने कैमरा को बेड के दूसरे कोने में रख दिया, और शीतल के पैरों के बीच में आ गया और अच्छे से पेंटी को देखता हुआ जाँघों और पैंटी को सहलाने लगा। शीतल की चूत तो कब से गीली थी और वो गीलापन पैटी पे भी आ चुका था। अब शीतल के लिये बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। वसीम को अपनी गीली पैंटी को देखते पाकर वो शर्मा गई।

वसीम में शीतल के लहंगे को उतार दिया और अपने कुर्ते को उतारते हुए शीतल के बगल में लेट गया। शीतल चाह रही थी की जल्दी से वसीम उसकी पेंटी भी उतार दे और चोदना शुरू कर दें। लेकिन वसीम को बिना पेंटी उतारे बगल में लेटता हुआ देखकर उसे मायूसी हई। शीतल सिर्फ एक लाल पैंटी में वसीम खान के साथ लेटी हुई थी और कैमरा इसकी अच्छे से कार्डिंग कर रहा था। शीतल के हिलने से चड़ी और पायल की आवाज आ रही थी, और कमरे में बैंड में हर तरफ फूल बिखरे हए थे। वसीम शीतल के बगल में लेटकर उसे अपने सीने से चिपका लिया और उसके हठों को चूसने लगा और पीठ को सहलाते हए पैंटी के अंदर हाथ डालकर गाण्ड को सहलाने लगा।

पीछे से शीतल की आधी गाण्ड दिख रही थी तो, वसीम अपना हाथ सामने लाया और शीतल की चिकनी चूत को सहलाने लगा। वसीम का हाथ शीतल की लाल पैंटी के अंदर उसकी चिकनी गीली चूत पे था। वसीम चूत को सहला रहा था और उसने अपनी एक उंगली गरमाई शीतल की गीली चूत के अंदर डाल दिया। उफफ्फ... चूत के अंदर का तापमान पूरा बढ़ा हुआ था। उंगली चूत में जाते ही शीतल का बदन हिलने लगा और वो वसीम को कस के पकड़ ली और उसके होठों को चमने लगी। पेंटी सामने में भी चूत में नीचे हो चुकी थी।

वसीम चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगा और पैटी को नीचे करता गया। पैंटी घुटने तक पहुँच चुकी थी। वसीम उठकर बैठ गया और शीतल को सीधा किया। वसीम शीतल के पैरों के बीच बैठ गया और उसकी पैंटी को उतार दिया।

शीतल अब पूरी नंगी लेटी हुई थी वसीम के आगे। अब उसके जिस्म में बस चूड़ी, कंगन, पायल, मंगलसूत्र ही थे। वसीम शीतल के चमकतें जिस्म को निहारने लगा। शीतल उस तरह वसीम को देखता देखकर शमां गई और अपनी मेहन्दी लगे हाथों से अपना चेहरा छुपा ली।

वसीम मुश्कुरा दिया। उसने शीतल के पैर फैलाए तो गोली चूत के होंठ आपस में खुल गये। वसीम बैंड से उठा
और कैमरा स्टैंड से उतारकर अपने हाथ में ले लिया और अच्छे से शीतल के नंगे कटीले जिएम की रंकार्डिंग करने लगा। वो अपने एक हाथ से चूत को फैलाया और चूत का क्लोजप लेने लगा। शीतल आँख से थोड़ा सा उंगली साइड में करके देखी और वसीम को इस तरह रंकार्डिंग करता देखकर और शर्मा गई। चूत का अच्छे से क्लोजप लेता हुआ वसीम अपनी उंगली चूत में अंदर-बाहर करने लगा।

वसीम की उंगली चूत से बाहर आई तो पूरी तरह गीली थी। वसीम कैमरा में अपनी गीली उंगली दिखाने लगा

और उसी हाथ से शीतल की एक चूची और निपल को मसलने लगा। शीतल अभी भी चेहरा टकी हुई थी तो वसीम निपल को कस के मसलकर ऊपर खींचने लगा। शीतल आउ: करती हई दर्द कम करने के लिए अपने बदन को ऊपर उठाई और चेहरे से हाथ हटाकर वसीम का हाथ पकड़ ली। वसीम मुश्कुरा दिया और शीतल के चेहरा के साथ पूरे जिएम का वीडियो काई करता रहा।

वसीम ने कैमरे को वापस स्टैंड में लगा दिया और फिर से शीतल के पैरों के बीच बैठ गया। वसीम ने शीतल के पैरों को अच्छे से फैला दिया, और अपने हाथों से चूत को फैलाता हुआ चूत पे किस किया और फिर चसने लगा। वो अपनी उंगली भी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था और चूत को चस भी रहा था। हाथ से चूत के छेद को फैलाकर अपनी जीभ को चूत के अंदरूनी हिस्से में सटा रहा था बसीमा वसीम अपनी जीभ से ही शीतल की चुदाई कर रहा था। वसीम जीभ को चूत के अंदर सटाकर चूस रहा था और फिर चूत के दाने को मुँह में भरकर खींचने लगा था।

शीतल अब खुद को नहीं रोक पाई और उसके मुँह से आऽ5 उड्... की आवाज निकलने लगी। वसीम शीतल की चूत को चूसता जा रहा था और बीच-बीच में उंगली भी करता जा रहा था। शीतल अपने बदन को ऐछने लगी और उसकी चूत में कामरस छोड़ दिया और वसीम को पता चला गया। शीतल हाँफ रही थी।

वसीम अब लेटी हईशीतल के मैंह के पास आया और अपने पायजामें को नीचे कर दिया और उसका विशाल सा लण्ड उसके अंडरवेर को फाड़ने के लिए तैयार था। उसने शीतल का हाथ पकड़कर अपने अंडरवेर पे रखा और शीतल उसे सहलाने लगी। वसीम शीतल के बगल में सीधा लेट गया।

शीतल करवट होकर वसीम से चिपक गई, उसकी चूचियां वसीम के जिश्म से दब रही थी। अब वो वसीम के लण्ड का अंडरवेर के ऊपर से सहला रही थी। फिर शीतल थोड़ा सा उठी और अंडरवेर को नीचे कर दी। अंडरबेर नीचे करते ही फुफकारते हए सौंप की तरह लण्ड बाहर निकला और तनकर खड़ा हो गया। शीतल मुश्कुरा दी।

आज उसे लण्ड और बड़ा और मोटा नजर आया। आज फाइनली इस मोटे और बड़े से लण्ड का शीतल की छोटी मी चूत के अंदर की सैर करनी थी।

शीतल उस लण्ड को सहलाने लगी जिसने कई बार उसके नाम का मूठ मारा था। शीतल का ये सब पहला अनुभव था। वो विकास के साथ ये सब कुछ नहीं की थी, फिर भी वसीम को बुरा ना लगे और उसे खुशी मिले, उसने वसीम का पायजामा और अंडरवेर को नीचे करके उतार दिया और वसीम के पैरों के बीच बैठ गईं। शीतल लण्ड को पूरे हाथ में लेकर पकड़ ली और झुकती हुई उसे किस की। लण्ड की खुश्ब उसे दीवाना कर गई। वो लण्ड पे झकती गई और मैंह को फैलाती गई और फिर उसे मैंह में लेकर चूसने लगी। उसकी चूचियों वसीम के जांघों को सहला रही थी। शीतल अपने मुँह का और फैलाई और अच्छे से लण्ड का मुँह में भर कर चूसने लगी। बो पहले से भी अच्छे तरीके से लण्ड चूस रही थी। अब तो उसके पास लण्ड चूसने का अनुभव भी था।


वसीम ने शीतल को रोक दिया और उसका मैंह हटा दिया। शीतल चौंक गई की अब क्या हो गया? कहीं ये मुझे आज भी नहीं चोदेंगे क्या? लेकिन आज बहुत कुछ होना था। वसीम उठकर बैंड के किनारे पैर लटका कर बैठ गया और शीतल अब नीचे बैठकर वसीम का लण्ड चूस रही थी। वसीम में कैमरा हाथ में ले लिया और खुद काडिंग करने लगा।

शीतल बहुत जतन और ध्यान से वसीम का लण्ड चूस रही थी। वो पी तरह कोशिश कर रही थी की पूरा लण्ड वो मुँह में ले पाए लेकिन ये हो नहीं पा रहा था। शीतल बहुत सेक्सी लग रही थी इस तरह लण्ड को चूसते हुए। वसीम ने शीतल को बेड पे लेटने के लिए कहा। शीतल बैड पं आकर लेट तो गई, लेकिन उसकी टाँगें आपस में सटी हुई थी और एक तरह से वो अपने नंगे बदन को समेट रही थी। वो समझ रही थी की वसीम ने उसे चोदने के लिए बैंड पे लिटाया है और अब उसकी चुदाई होने वाली है। चुदाई के इस एहसास ने उसे रोमांचित कर दिया और वो फिर से शर्मा रही थी।

वसीम ने कैमरा को स्टैंड पे लगा दिया और शीतल के पैर को फैलाता हुआ बीच में बैठ गया। उसने शीतल के पैर को अच्छे से फैला दिया और चूत में किस करता हुआ उंगली करने लगा। अब वो शीतल के पैरों के बीच में लगा

ही थोड़ा आगें आ गया और अपने लण्ड को शीतल की चूत में सटा दिया और फिर चूत को लण्ड से सहलाने लगा। लण्ड चूत में सटते ही शीतल के जिस्म में करेंट दौड़ गया। वो पूरी तरह गरमा गई और चूत गीली हो गईं। वसीम अपने लण्ड से शीतल की चूत को सहलाते जा रहा था और जगह बनाते जा रहा था।

शीतल चूत में वसीम का लण्ड लेने के लिए आतुर हो रही थी। लण्ड के अंदर जाने पर होने वाले दर्द को सहनें के लिए भी बो मेंटली तैयार हो चुकी थी। शीतल सोच रही थी "आहह... वसीम डालिए ना अब अंदर। मेरी चूत आपके सामने हैं। डाल दीजिए अपने लण्ड को अंदर और चोदिए मुझे। जितने सपने आपने देखें हैं मुझे सोचते हुए, सब पूरे कर लीजिए आह्ह... गरौंद डालिए मेरे जिएम को आहह... वसीम प्लीज़... डालिए ना अंदर .. लेकिन उसके मुँह से बस आहह... उम्म्म ह... की आवाज ही आ रही थी।

वसीम लण्ड के लिए रास्ता बनता हुआ चूत सहला रहा था और शीतल अपनी कमर उठाकर लण्ड अंदर ले लेना चाहती थी। वसीम लण्ड को चूत से सटाकर शीतल के ऊपर लेट गया और उसके होठों को चूमने लगा और चचियों मसलने लगा।

शीतल अब बर्दाश्त नहीं कर पाई, कहा- "डालिए ना वसीम अंदर, क्या कर रहे हैं आप?"

वसीम शीतल के गालों को चमता बोला- "क्या डालं मेरी जान?"

शीतल एक झटके में बोली- "लण्ड..." लेकिन तुरंत ही उसे एहसास हो गया की वो क्या बोली और शर्मा गईं।

वसीम उसकी चूचियों पे दाँत काटता हुआ पूछा- “कहाँ मेरी जान?"

शीतल दो सेकेंड के लिए रुकी लेकिन फिर अपने शर्म को त्यागती हुई बोली- "मेरी चूत में। ओह्ह... वसीम क्यों तड़पा रहे हैं?"

अचानक शीतल को अपना निश्म फटता हुआ महसूस हुआ। वो दर्द से बिलख गई। वसीम ने शीतल को कस के अपनी बाहों में पकड़ लिया था। वसीम का लण्ड शीतल की चूत के रास्ते को खोल चका था। वसीम ने अपनी कमर का भार शीतल की चूत पे बढ़ाया और अपने दर्द को सहती हुई शीतल आह्ह... आह माँ... करती हुई दोनों पैर को पूरी तरह फैला ली और फाइनली वसीम खान का लण्ड शीतल शर्मा की चूत के अंदर आ चुका था। वसीम ने अब एक धक्का मारा और उसका लण्ड शीतल की चूत की गहराइयों में उत्तरता चला गया।

शीतल का दर्द कम हो चुका था। वो कोई कुँवारी लड़की तो नहीं थी फिर भी 3 इंच के बाद आज ही उसका कुँवारापन दूर हुआ था। अभी भी पूरा लण्ड अंदर नहीं गया था। वसीम शीतल के होठों को चूमने लगा, चूसने लगा। वसीम ने एक धक्का और मारा और बचा खुच लण्ड भी शीतल की चूत में समा गया। वसीम अब कस कस के धक्के लगाने लगा।

शीतल आहह ... उऊहह ... करने लगी। वसीम के धक्के में शीतल का पूरा जिस्म हिल रहा था। शीतल की मुलायम चूचियां पूरी तरह से उछल रही थी, और वसीम अपने अरमान पूरे कर रहा था। तुरंत ही शीतल की चूत में अपना पानी छोड़ दिया। लेकिन तुरंत ही वो फिर से गरमा गई थी।

लण्ड डाले डाले ही उसे ऊपर कर दिया और अब शीतल वसीम के लण्ड पे उछल रही थी। शीतल की चूचियां ऊपर-नीचे हो रही थी और साथ में वो मंगलसूत्र भी। शीतल पूरा ऊपर आ रही थी और फिर पूरा नीचे जा रही थी। थोड़ी देर बाद वसीम ने शीतल को कुतिया की तरह चार पैरों पे कर दिया और उसकी गाण्ड पे कम के एक हाथ मारा। शीतल इस तरह हो गई की उसकी गाण्ड बाहर की तरफ निकल गई और कमर नीचे हो गई। वसीम शीतल के पीछे आया और उसकी चूत में अपना लण्ड घुसेड़ दिया।


शीतल की चूत में फिर पानी बह निकला और वसीम के हर धक्के से शीतल की चूत से वो पानी बाहर आ रहा था। फिर से वसीम ने शीतल को सीधा लिटाया और और उसके ऊपर आकर चोदने लगा। शीतल पस्त हो चुकी थी। बहुत देर हो चुका था। शीतल आधे घंटे में इतने विशाल लण्ड को अपनी नाजुक सी चूत में झेल रही थी।

वसीम शीतल से पूरी तरह चिपक गया और लण्ड चूत के आखिरी छोर में जा सटा और वसीम के लण्ड में पानी गिरा दिया। अंदर वीर्य की गर्मी पाते ही शीतल की चूत तीसरी बार पानी छोड़ दी। जब बीर्य की आखिरी बंद भी शीतल की चूत में गिर गई तो वसीम ने अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया और शीतल के बगल में टेर हो गया। लण्ड के बाहर आते ही शीतल की चूत में वीर्य का और चूत के पानी का मिक्स्च र बाहर बेड पे बहनें लगा। दोनों पीने से लथपथ हो चुके थे। इस महयुद्ध में एक बार फिर से चूत की ही जीत हुई और इतना विशाल लण्ड भी अब थक हार कर मुर्दे की तरह पड़ा हुआ था। बेड के सारे फूल रौदे मसले जा चुके थे।

आखिरकार, शीतल आज वसीम से चुद ही गई। इतनी मजेदार चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी। वो पशीने से लथपथ थी। वसीम भी इस 23 साल की अप्सरा को अपने मन मुताबिक चोदकर निटाल पड़ा था।

शीतल ऐसे ही नंगी लेटी रही। उसकी चूत में अभी भी वसीम का वीर्य और खुद उसकी चूत का पानी मिलकर बाहर बह रहा था और बेंड को गीला कर रहा था। शीतल के जिस्म में तो जैसे जान ही नहीं थी। 6:00 बजे से अभी 10:00 बजे तक में 4 बार उसकी चूत से पानी निकला था। एक बार तो वो खुद नहाते वक़्त निकाली थी
और तीन बार वसीम ने चोदते हुए निकाल दिया।

शीतल मन में- "उफफ्फ... ऐसे भी कहीं चदाई होती है। 8:00 बजे से लेकर 10:00 बजे तक। एक तो इतना बड़ा घोड़े का लण्ड है और उसमें इतनी देर तक चोदते रहे। मेरी तो चूत छिल गई है। पूरा बदन दर्द कर रहा है। लेकिन एक बात की खुशी है की में इनका साथ दे पाई। उन्हें मजा तो आया होगा ना? संतुष्ट तो हए होंगे ला वा? पता नहीं, लेकिन इतने में भी अगर कोई संतुष्ट ना हो तो अब क्या जान निकल के मानेगा?

थोड़ी देर में वसीम बैंड से उठा। उसका लण्ड इतनी पुरजोर चुदाई के बाद ढीला था। लेकिन उसकी जांघों के बीच ऐसे लटक रहा था जैसे कोई काला नाग झल रहा हो। उस झूलते लण्ड को देखकर शीतल की चूत में फिर से आग भर गई। वसीम ने कैमरे को बंद कर दिया। ने लेटी हईशीतल को देखा।

शीतल शर्मा गईं। शीतल भी बेड से उठ गई। उसका पूरा मेकप बिगड़ा हुआ था। आँखों का काजल और लिपस्टिक फैल गया था और बाल बिखरे हुए थे। वो बहुत ही संडक्टिव लग रही थी। वो सीधे बाथरूम में जाकर पेशाब करने लगी। उसकी चूत में तेज जलन होने लगी और चूत से गाढ़ा सफेद पानी पेशाब के साथ निकलने लगा। वो बाथरूम में ही चूत को ठंडे पानी से अच्छे से धो ली और पोंछूकर बाहर आई। शीतल तौलिया लपेटकर बाथरूम से बाहर आई, तब तक वसीम प्लास्टिक बैंग में लगी निकालकर पहन चुका था और सोफे पे बैठा था।
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शीतल अदा से चलती हुई वसीम के सामने आई और बोली- "मैं खाना लगाती हूँ, चलिए कुछ खा लीजिए."

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