पति ने छोड़ा तो मैंने आंटी को पेला

पति ने छोड़ा तो मैंने आंटी को पेला

हेल्लो दोस्तों, मैं आप सभी का chut-phodo.blogspot.com में बहुत बहुत स्वागत करता हूँ। मेरा नाम आर्यन है। पारिवारिक चुदाई कहानी की इस कहानी में मैं आपको पड़ोस की आंटी की चुदाई कहानी के बारे में बताऊंगा। इस कहानी मैं आपको पता चलेगा की मैने कैसे पड़ोस की आंटी को चोदा। मैं उम्मीद करती हूँ कि यह कहानी आप सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी।

विशेष सूचना: ये कहानी और इसके सारे चरित्र काल्पनिक है। किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के साथ इनका सादृष्य केवल एक संयोग है।

आंटी की छत पर चुदाई की कहानी
नमस्कार दोस्तो मेरा नाम आर्यन है, मै जयपुर, राजस्थान का रहने वाला हूँ , मेरी उम्र २३ साल और मेरी लंबाई ५ फूट ११ इंच है। मेरा लंड ६ इंच लंबा और ३ इंच मोटा है। मेरे परिवार में मैं मेरे पिताजी माँ और मेरा एक छोटा भाई है।


ये लॉकडाउन की चुदाई कहानी मेरे स्कूल के दोस्त और मेरे पड़ोसी पंकज की मां जिनका नाम प्रेमा आंटी है, उनकी और मेरी है।


पंकज का घर हमारे घर के बिल्कुल पास मे यानी छत से छत मिली हुई है, हम दोनो बचपन के दोस्त है तथा हमारी स्कूल, कॉलेज साथ साथ मे हुई, हम दोनो अच्छे दोस्त थे और हमारी फैमली के भी एक दूसरे से अच्छे सम्बन्ध थे, आज से दो साल पहले पंकज की एक प्राइवेट कंपनी मे जॉब लग गयी और वो अहमदाबाद चला गया।


दोस्तो जब मै कॉलेज मे आया और सेक्स के बारे मे समझने लगा तो मुझे लगने लगा कि मुझे एक गर्लफ्रेंड चाहिए चोदने के लिए, लेकिन ऐसा मुश्किल था क्योंकि मेरा कॉलेज बॉयज कॉलेज था और फिर मै थोड़ा शर्मिला भी था लड़कियों से बातें करने में। इसलिए बाहर गर्लफ्रेंड बनाना मेरे लिए मुश्किल था।


प्रेमा आंटी की उम्र ४५ साल है और वो गोरे बदन की मालकिन है, उनका कद ५’३ है तथा शरीर भरा हुआ है। आज से ५ साल पहले उनके पति ने संगसार छोड़कर सन्यास ले लिया था। पंकज उनकी इकलौती संतान है, स्कूल लाइफ तक मेरे मन मे उनके प्रति कोई गलत ख्याल नही था लेकिन जब मै कॉलेज मे आया तो मन ही मन में मैं उन्हे पसंद करने लगा।


दोस्तों ये पिछले साल अप्रैल की बात है जब मै हमारी छत पे सोने गया था, हमारे वहां उस वक्त लॉकडाउन था, प्रेमा आंटी भी छत पर सोया करती थी, प्राइवेट कंपनी मे जॉब होने की वजह से पंकज जयपुर नही आ पाया था।


मेरा और प्रेमा आंटी का बोलचाल शुरू से ही अच्छा था क्योंकि मेरा बचपन पंकज के साथ उसके घर में खेलते हुए ही बीता था। 


मैं रात को ९:०० बजे खाना खाकर ऊपर सोने जाया करता था, एक दिन प्रेमा आँटी ऊपर सोने के लिए आई, हम दोनों के छत मिली हुई है, मै फेसबुक चलाने में बिजी था तो प्रेमा आंटी ने मुझसे आवाज लगाई, तो मैं आवाज सुनकर उनकी छत पर चला गया।


मैंने उनसे कहा “आंटी आज इतनी रात को आप ऊपर क्या कर रही हैं?


तो उन्होंने कहा कि उनका एसी कई दिनों से खराब पड़ा है और इस लॉकडाउन में कोई इलेक्ट्रीशियन भी नहीं है, इसलिए जब तक एसी सही नहीं हो जाता वो ऊपर ही सोया करेगी। उस रात देर तक हमारी बातें हुई और रात के १:०० बजे मैं अपनी छत पर आकर सो गया।


अब यह सिलसिला रोज चलने लगा हम दोनों रोजाना सोने से पहले दो-तीन घंटे बातें करते थे करीब ७–८ दिन बाद काफी इंतजार के बाद भी प्रेमा आंटी छत पर नहीं आई, मैंने सोचा कि आज वो नीचे सोने वाली है और मैं ये सोच कर मै अपने फोन में पोर्न देखने लग गया और अपने लंड को हिलाने लगा।


मेरा एक हाथ मेरे पजामे के अंदर था, तभी पता नहीं न जाने कब आंटी छत पर आ गई और उन्होंने मुझे पोर्न देखकर हिलाते हुए देख लिया।



इस बात से अनजान मैं पजामे के अंदर अपना लंड अच्छे से हिला रहा था और मज़ा ले रहा था।


थोड़ी ही देर बाद मेरा वीर्य पजामे मे ही निकल गया और मुझे आराम मिला। जब मैं हाथ धोने के लिए उठा तो देखा आंटी मुझे लगातार देख रही हैं, यह देखकर मै शर्मा गया और पलंग से उठकर पास की टंकी से पानी निकाल कर अपना हाथ धोने लग गया। मुझे शर्म आ रही थी इसलिए मैं आंटी से कुछ नहीं बोला और वापिस पलंग पर लेटकर फोन में लग गया।


आंटी ने मुझे आवाज देकर अपने छत पर बुलाया, मैं शर्माते हुए उनके पास चला गया।


वो पलंग पर जाकर लेट गयी और मै चेयर पर बैठे गया, आंटी मुझसे नॉर्मल बाते करने लगी अंत मे उन्होंने मुझसे कहाँ कि “क्या तुम ये सब रोज करते हो?”


तो मै शर्मा गया और बोला “नही आंटी कभी कभी करता हूँ।” 


वो हँसने लगी और बोली, "हाँ अब तो गर्लफ्रेंड से मिलना भी बंध हो गया है ना…?" 


तो मैने कहा, "नही आंटी मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।"


यह सुनकर आंटी हंसने लग गई और मैंने शर्मा कर गर्दन नीचे कर ली और उठकर अपनी छत पर आ गया, लेकिन पलंग पर लेट कर मै सोच रहा था आंटी मेरे बारे मे क्या सोच रही होगी..? अगर उन्होंने ये बात मम्मी को बता दी तो मेरा क्या होगा..? मुझे डर के मारे नींद नहीं आ रही थी।


ऐसे ही अगले दिन रात को आंटी मुझसे बातें करने लगी, उन्होंने कहाँ कि, "तुम्हारा मन नहीं करता क्या कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड हो..? तुम उसके साथ मजे करना, तो मैंने शर्मा कर कुछ भी जवाब नहीं दिया। लेकिन अब मै आंटी को थोड़ा थोड़ा पसंद करने लगा था और सोचने लगा था कि काश आंटी पट जाए तो मज़ा आ जायेगा।


ऐसे ही दिन के बाद दिन निकलते गए और आंटी रोज़ मुझसे ऐसी गंदी बातें करने लगी, जिससे मुझे लगने लगा कि आँटी के मन मे भी मेरे लिए कुछ तो है।


एक रात मै और आंटी बात कर रहे थे तो वो बोली कि मेरा सिर दर्द कर रहा है तो मैंने कहा आंटी मैं आपका सर दबा देता हूं और फिर मै चेयर से उठकर पलंग के किनारे बैठ गया और उनका सिर दबाने लगा। कुछ देर तक सिर दबाने के बाद फिर आंटी ने कहाँ की अब उन्हे अच्छा लग रहा है, अब मै रहने दूं।


और फिर मै पलंग के किनारे बैठकर ही बात करने लगा, आंटी आज कुछ ज्यादा ही रोमांटिक बातें कर रही थी।


मैंने सोचा की आज तो आंटी को चोद ही दूंगा, वरना कब तक ऐसे हाथ पर हाथ रखकर बैठा रहूँगा।


कुछ देर बाद मैं बातें करते करते उनके पास में ही लेट गया, इससे मुझे डर लगने लगा कि कही आंटी बुरा ना मान जाए और नाराज ना हो जाए। लेकिन इस पर आंटी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, और बातें करती रही…


फिर मैं सोने का नाटक करने लगा तो आंटी ने मुझे जगाने कि कोसिस करते हुए कहा कि, "अपनी छत पर जाओ और वहां जाकर सो जाओ।" लेकिन मैंने अनसुना कर दिया और सोने का नाटक करता रहा फिर वो भी सो गई। 


जब ये निश्चित हो गया कि आंटी सो गई है तो मैंने अपना एक पैर उनके ऊपर रख दिया, इससे मेरे अंदर एक करंट सा दौड़ गया। आंटी का चेहरा मेरे चेहरे की ओर ही था, वो सोती हुई बहुत ही मस्त लग रही थी। फिर मैंने अपना एक हाथ भी हिम्मत करके उनके पेट पर रख दिया और अपनी आंखें बंद कर ली। 


आंटी नींद में थी और हम दोनों बिल्कुल लगकर सो रहे थे हम दोनों की दिल की धड़कने एकसाथ मिलकर मानो एकसाथ धड़क रहे थे।


फिर नींदों में ही आंटी ने अपने होठ मेरे होठों पर रख दिये और धीरे धीरे उन्हें चूसने लगी।


मेरे कुछ समझ नही आ रहा था, मैं आंखें बंद करके लेटा रहा और उनका साथ देने लगा। क्योंकि मैंने पहली बार किसी औरत को चूमा था, इसलिए मुझे डर भी लग रहा था। 


आंटी और मै बिल्कुल चिपके हुए थे और नीचे मेरा लंड खड़ा हो चुका था और आंटी की जांघो को छू रहा था,। ५- ७ मिनट तक होठ चूसने के बाद फिर अचानक आंटी की नींद खुल गई और वो दूसरी तरफ करवट लेकर सो गई। लेकिन मेरा लंड खड़ा हुआ था और पीछे से उनकी रसीली गांड पर चुभ रहा था। चांदनी रात में पीछे से उनकी गांड को अच्छे से देखा जा सकता था। मेरे लंड ने जहां उनकी गांड को स्पर्श किया था वही पर उनकी गांड का छेद था। उनकी कमर ३४ और गांड ३६ इंच की थी। उन्होंने भी मेरे लंड को अपनी गांड से अलग नहीं किया। इससे मुझे भी मज़ा आ रहा था, मैंने आँखे बंद कर ली और न जाने कब मुझे नींद आ गई।


जब सुबह मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि आंटी नीचे जा चुकी थी और मैं भी उठ कर अपनी छत पर आ गया। फिर उस दिन रात को मैं छत पर सोने गया और कुछ देर बाद आंटी भी आ गयी। आज वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी, मैं भी उनको देखकर मुस्कुरा दिया, रोजाना की तरह हम फिर बातें करने लगे। आज मै चेयर की बजाय उनके पलंग के किनारे पर बैठा था और बात करते करते कल कि तरह उनके पास लेट गया। इस पर आंटी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और पिछले दिन की तरह थोड़े टाइम के बाद वो सो गई।


मैंने भी कल की तरह अपना एक पैर उनके पैर पर रख दिया और अपना हाथ उनके पेट पर रख दिया और धीरे-धीरे उनके पेट को सहलाने लगा। मैं ये बोलना भूल गया था की आंटी नाइटी पहनती हैं रात को सोते वक्त।


आंटी को देखकर ऐसा लग रहा था की जैसे वो घोड़े बेचकर सो रही हो।


फिर अचानक आंटी ने मेरी और करवट ली और अपने रसीले होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और चूसने लगी, जिससे मुझे यह मालूम हो गया कि आंटी सोई हुई नहीं थी बल्कि सोने का नाटक कर रही थी।


मै समझ गया की आज मुझे मौका मिल चुका है आंटी को चोदने का। आज अगर ये मौका हाथ से निकल गया तो मैं आंटी को फिर कभी नहीं चोद पाऊंगा। इसलिए मैं भी उनका साथ देने लगा और मैंने अपना एक हाथ उनके स्तन पर रख दिया और उसे दबाने लगा। प्रेमा आंटी भी अब आंखें खोल कर मजा लेने लगी। 


काफी देर की चुम्मा चाटी के बाद मैंने अपनी टी-शर्ट को खोल दिया, और आंटी की नाइटी को उठाने लगा। आंटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहाँ कि “आर्यन यहाँ आसपास की छत पर भी लोग सोए हुए हैं, चाँदनी रात है, कोई देख लेगा।" 


मैंने कहाँ, "पलंग से नीचे उतर कर नीचे छत पर करते हैं, आंटी मान गई। मैंने पलंग से गद्दा लेकर नीचे बिछा दिया और फिर मैं एक भूखे भेड़िए की तरह आंटी पर टूट पड़ा और फिर से किस करने लगा। ये पहली बार था जब मैने एक औरत को छूया था। मैं तो खुशी के मारे झूम उठा।


मैंने आंटी की नाइटी को उतार दिया, आंटी ने लाल ब्रा पहन रखी थी, उनके स्तन काफ़ी बड़े बड़े थे, मैं उनके स्तनों पर टूट पड़ा और ब्रा के ऊपर से ही उन्हें किस करने लगा यह देखकर आंटी ने अपनी ब्रा को उतार दिया।


फिर मैं एक स्तन को दबाने लगा और एक के चूचे को मुंह में लेकर दूध पीने लगा, आंटी मेरे बालों में उंगलियां फेरने लगी, मै बारी बारी से दोनों का दूध पीने लगा। बिच बिच मे दांत भी लगा दे रहा था जिससे आँटी की आवाज निकल जाती, कुछ देर स्तन चूसने के बाद मैं फिर आंटी के होंठ चूसने लगा इसके बाद मैं आंटी की गर्दन, स्तन पर किस करते करते आंटी के पेट पर आ गया और उनकी नाभि को चूसने लगा। 


आंटी मदहोश हो गई और आह उह ओह करके आवाजें करने लगी। फिर मैंने आंटी की पेंटी को उतार दिया, उन्होंने आजकल की लड़कियों की तरह सेक्सी पेंटी पहनी थी। लगता है की उन्होंने पहले से ही मुझसे चुदवाने की सारी तैयारी कर रखी थी। आंटी की चूत एकदम साफ थी, लगता है की मेरे लिए ही उन्होंने अपनी चूत मुंडवाई होगी। मैंने भी अपना पजामा और अंडरवियर को उतार दिया, आंटी ने तुरंत ही मेरा लंड पकड़ लिया और अपने हाथों से मेरे लंड को आगे पीछे करने लगी।


फिर मैं दोबारा उनकी नाभि को चूसने लगा। आंटी मेरे सिर को उनकी चूत की तरफ ले जा रही थी।


उन्होंने मुझसे कहा, “इसे चाटो।” मैं भी आंटी की बात मानकर उनकी चूत को चाटने लगा। चांदनी रात में उनके गोरे चूतड एकदम चमक रहे थे। जैसे ही मैंने उनकी चूत पर अपनी जीभ लगाई आंटी आह करके आवाज कर उठी। मुझे पता चल गया की उनको बोहोत मजा आ रहा है।


इसके बाद आंटी ने मुझे गद्दे के ऊपर सुलाया और खुद मेरे मुंह के ऊपर बैठ गई। आंटी की चूत बिल्कुल मेरे मुंह के ऊपर थी। चूत से रस निकलकर मेरे मुंह में जा रहा था। मैं अपनी जीभ को आंटी की चूत के अंदर बाहर कर रहा था। अच्छे से चूस रहा था उनकी चूत को।


अब आंटी ने मेरे लोड़े को अपने मुंह में डालकर चूसना शुरू किया।


क्या बताऊं दोस्तों मैं तो जन्नत में था, आंटी बहुत ही अच्छी तरीके से मेरा लौड़ा चूस रही थी। आखिर वो बड़ी है और उन्हें लोड़ा चूसने का काफी तजुर्बा है। ऐसा लग रहा था जैसे मैं स्वर्ग में सो रहा हूं, मुझे यह सब अभी भी एक स्वप्ना लग रहा था।


अब आंटी ने मेरे लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला और कहा, "आर्यन, बेटा अब काफी रात हो गई है। जल्दी से अपने लंड से मेरी भूखी चूत को फिरसे पहले की तरह हरी भरी कर दो।


ये बात कहने के बाद आंटी मेरे ऊपर से उठ गई और मैं फिर्से आंटी के ऊपर बैठ गया। इसके बाद मैं धीरे-धीरे उनकी चूत पर दबाव बनाने लगा और मेरा आधा लंड आंटी की चूत के अंदर चला गया। आंटी की चूत अंदर से बिल्कुल गर्म थी, ऐसा लग रहा था जब अंकल सन्यासी नही थे तब वो आंटी को खूब चोदते थे। मगर कुछ खास टाइट नही थी, थोड़ी ढीली हो गई थी। मैने पहले किसी लड़की को चोदा नही था लेकिन मेरे दोस्तों ने मुझसे कहा था की लड़कियों की चूत जवानी में काफी टाइट होती है, फिर उमर बड़ने के साथ चूत ढीली पड़ जाती है। आंटी के साथ भी ऐसा ही हुआ होगा। लेकिन नही मामा से काना मामा अच्छा। पहली बार किसी लड़की को चोद रहा हूं। इसलिए मुझे उनकी चूत पसंद आई, बुरी नही लगी। लंड डालते ही मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैंने किसी तपती हुई भट्टी में अपना लंड दे दिया हो।


मैं धीरे-धीरे और दबाव बढ़ाने लगा आंटी सिसकारी लेने लगी। उन्होंने बिल्कुल ही मुझे जकड़ लिया और मेरी पीठ पर नाखून चुभाने लगी। मै तेजी से लंड आगे पीछे करने लगा। और लंड आगे पीछे करने के साथ साथ उनकी चूची को चूसने लगा। और कभी कभी काटने लगा। आंटी मुझे कसकर पकड़ी हुई थी और कह रही थी, "चोदो मुझे और जोर से चोदो, चोद चोद कर मेरी चूत फाड़ दो।" मैने उनसे कहा, "नही आंटी, अगर मैने आपकी चूत को फाड़ दिया तो फिर मेरा क्या होगा। मैं आपको कभी कभी ऐसे ही चोदा करूंगा।" ये सुनकर आंटी ने कुछ नहीं बोला और मुझे कसके पकड़कर चुदाई का लुफ्त उठाने लगी। मेरे लंड और उनकी चूत का रस एकसाथ मिलकर उनकी गांड के छेद के ऊपर से गद्दे के ऊपर गिर रहा था। ऐसे लगभग १५ मिनट तक जबरदस्त चोदने के बाद लगा कि मेरा निकल जाएगा। इससे पहले कि मैं कुछ सोचता मेरा वीर्य आंटी की चूत के अंदर ही निकल गया और मै थक कर आंटी के ऊपर ही लेट गया।


हम दोनो एक दूसरे के पसीने से गीले हुए थे। आंटी ने मुझसे कहा, "कैसा लगा आर्यन पहली बार किसी औरत को चोदकर।" मैने खुसी से कहा, "बोहोत अच्छा लगा आंटी। आपकी चूत, स्तन और गांड बोहोत अच्छी है। अब मैं रोज आपके साथ ही सोयूंगा और आपको प्यार करूंगा।" आंटी ने जवाब में कहा, "ठीक है तुम मुझे रोज प्यार करना। लेकिन सिर्फ चुम्मा चाटी, पेट सहलाना, चूत चाटना, जकरके प्यार करना ये सब। रोज रोज लंड डालने नही दूंगी मैं तुम्हे।" मैने सोचा की आंटी जैसा बोल रही है वैसा करना ही सही होगा। उल्टा अगर आंटी ने मम्मी को सब कुछ बता दिया तो मैं फस जाऊंगा। इसलिए मैने कहा, "ठीक है आंटी, आप जैसा चाहेंगी वैसा ही होगा।" फिर हम दोनो ने अपने कपड़े पहन लिए और एक दूसरे को एक बार फिर चूमा। इसके बाद मैं अपने घर की छत पर जाकर सो गया।


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