सामने वाली आंटी-2

सामने वाली आंटी-2

इस कहानी में सारे चरित्र काल्पनिक हैं। वास्तब से मिलने की संभाबनाये बिल्कुल ही काकतैलीय हैं।

बलत्कार करना एक पाप है। ये वो लोग करते है जिनकी ओकात नही किसी औरत को पटाने कि।

फिर मैंने उसे अपना पेटीकोट उठाने के लिए कहा तो पहले तो वो ना-ना कर रही थी, लेकिन आख़िरकार मेरी ज़िद के सामने उसने हार मान ली और अपना पेटीकोट ऊपर उठा लिया। वाह अब मेरे तो भाग्य ही खुल गये थे। अब मेरे सामने करीब 12 मीटर की दूरी पर एक मदमस्त चूत मेरे लंड का इंतजार कर रही थी। उस वक्त मेरे घर में कोई नहीं था, सिर्फ़ में अकेला ही था। तब मैंने आंटी को अपने घर में आने के लिए इशारा किया तो आंटी ने मना कर दिया। फिर मैंने बताया कि मेरे घर में मेरे सिवाए और कोई नहीं है। तब वो बोली कि में थोड़ी देर में आती हूँ। अब मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था और बैठे भी क्यों? अब तो उसे चोदने के लिए मदमस्त चूत मिलने वाली थी। फिर थोड़ी देर के बाद में डोरबेल बजी तो मैंने तुरंत दरवाजा खोला, तो सामने वाली आंटी खड़ी थी। अब वो बड़ी ही मादक स्माइल कर रही थी और बड़ी सेक्सी अदा में खड़ी थी, वो सुंदर नीले रंग की साड़ी पहनकर आई थी और हल्का सा मेकअप भी किया हुआ था।फिर मैंने तुरंत उसे अंदर बुला लिया और दरवाजा बंद कर दिया। फिर वो बोली कि राजू क्या काम है? मुझे यहाँ क्यों बुलाया है? अब वो जानबूझकर भोली बन रही थी। फिर मैंने भी उसे इसी अदा में जवाब दिया कि आंटी तेरे आम का रस चूसने का बहुत मन हो रहा था, इसलिए तुझे यहाँ बुलाया है। फिर यह सुनकर वो मुझे मारने के लिए मेरे पीछे पड़ी और में अंदर बेडरूम की तरफ भाग गया। तो वो मेरे पीछे आ गई और मुझे पीछे से पकड़ लिया और बोली कि क्या बोला मेरे आम के रस चूसना है? तो चल जल्दी फटाफट चूसना शुरू कर। फिर यह सुनकर मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और उसके रसीले होंठो को चूसना शुरू कर दिया। अब वो भी पीछे हटने वाली नहीं थी। अब वो भी मेरे होंठो को जोर से चूसने लगी थी और मेरे मुँह के अंदर अपनी जीभ फैरने लगी थी। अब इससे मेरे अंदर सेक्स का लवरस बहने लगा था। अब मैंने भी उसे कसकर पकड़ लिया था और उसके मदमस्त बूब्स को सहलाने लगा था। फिर मैंने आंटी को धीरे से बेड पर लेटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया।फिर में उसके होंठो को चूसता रहा और ज़ोर-ज़ोर से उसके बूब्स को दबाने भी लगा था। अब वो भी जबरदस्त मूड में आ गई थी और मेरा पूरा सहयोग देने लगी थी। फिर मैंने धीरे से उसकी साड़ी भी निकाल दी और फिर उसका ब्लाउज भी उतार दिया। उसने लाल कलर की ब्रा पहनी थी और उसमें से उनके गोरे-गोरे बूब्स उछल-उछलकर बाहर आने के लिए मचल रहे थे। फिर मैंने भी अपनी शर्ट और पेंट उतार फेंकी। अब उन्होंने अपना पेटीकोट खुद ही निकाल दिया था और मुझे अपने ऊपर खींच लिया था। अब में पागलों की तरह उसे चूमने लगा था। अब वो भी मुझसे एकदम ही चिपक गई थी। फिर में उसके होंठो को छोड़कर धीरे से उसके कंधे पर से उसकी पीठ पर किस करने लगा और पीछे से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। उसकी ब्रा झट से उछलकर निकल गई और अब उसके मदमस्त बूब्स हवा में लहराने लगे थे। फिर में एक भी पल गंवाये बिना तुरंत अपने मुँह में उसके बूब्स को लेकर आम की तरह चूसने लगा। अब वो अपने मुँह से बुरी तरह सिसकारियाँ भर रही थी। अब वो बहुत ही गर्म थी। अब में बारी-बारी उसके दोनों बूब्स को लगातार चूसने लगा था।अब वो भी राजा ज़ोर-ज़ोर से चूसो, ये आम तुम्हारे लिए ही है, इन आम को आज तक किसी ने भी तुम्हारी तरह नहीं चूसा है, मुझे आज जन्नत का सुख मिल रहा है और ज़ोर-ज़ोर से चूसो जैसे बोले जा रही थी। तब मैंने भी कहा कि अरे मेरी प्यारी आंटी अभी जन्नत का सुख तो बाकी है, ये तो सिर्फ़ शुरुआत है अभी देखती जाओं आगे-आगे होता है क्या? और फिर मैंने ज़ोर से उसकी पेंटी को फाड़कर निकाल दिया और उसकी चूत को अच्छी तरह से सहलाने लगा था। अब तो वो और ज़ोर से मचल पड़ी थी, आह क्या मज़ा आ रहा है? अरे राजा और जन्नत का सुख दो, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है और ये बोलते-बोलते उसने मेरा लंड बाहर निकाल दिया और अपने हाथ में मसलने लगी थी। फिर वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। तब मुझे भी बड़ा मज़ा आने लगा और फिर में बोला कि आह मादरचोद, आंटी तू बहुत मज़ा दे रही है, अब तो में हमेशा तुझे चोदूंगा और मज़ा करूँगा।फिर मैंने भी उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। अब तो वो मदहोश होती जा रही थी और फिर वो बोली कि अरे राजा जल्दी अपना लंड मेरी चूत में डालो, अब तो रहा नहीं जाता, मेरी चूत का हाल बुरा होता जा रहा है। अब में भी पूरे जोश में आ गया था। फिर मैंने अपना 8 इंच लम्बा और तगड़ा लंड आंटी की चूत पर रखकर पूरे जोश से एक धक्का मारा। तो आंटी दर्द के मारे चिल्ला उठी, अरे मेरे नन्हे शेर जरा धीरे से चोदो, ये चूत तुम्हारे लंड जितनी बड़ी नहीं है। फिर मैंने भी धीरे से अपना सुपाड़ा उसकी चूत पर रगड़ा और फिर धीरे-धीरे अपना लंड आंटी की चूत में डालने लगा। फिर धीरे से मेरा पूरा लंड आंटी की चूत में डालने के बाद मैंने कहा कि आंटी कैसा लग रहा है? तो तब वो बोली कि यार बड़ा मज़ा आ रहा है, आज के बाद जब भी मौका मिलेगा तो हम जरूर ये खेल खेलेंगे, अब ज़ोर-ज़ोर से तेरी आंटी की चूत की तड़प मिटा दे। अब में भी जोश में आ गया था और दनादन धक्के मारने लगा था। अब आंटी भी चिल्ला रही थी, आह इतना मज़ा ज़िंदगी में पहली बार आ रहा है, जल्दी-जल्दी मेरे राजा चोदो, मेरी प्यासी चूत की प्यास बुझा दो, मेरी चूत की चटनी बना दो, बहुत ही आनंद मिल रहा है। अब मुझे भी स्वर्ग का सुख मिल रहा था। अब में भी फटाफट मेरे लंड को आंटी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था। अब वो भी मुझसे एकदम चिपक गई थी। फिर मैंने मेरा पूरा ज़ोर लगाकर उसकी चूत में अपने वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया। अब वो भी मेरे साथ झड़ गई थी और फिर उसने भी अपना पानी छोड़ दिया। फिर हम दोनों बिस्तर पर हाँफते हुए पड़े रहे और फिर ये चोदने का सिलसिला हमेशा के लिए चालू हो गया। फिर हम दोनों को जब कभी भी कोई मौका मिला, तो हमने उस मौके का भरपूर फायदा उठाया और खूब इन्जॉय किया ।।


धन्यवाद …

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