सामने वाली आंटी-1

सामने वाली आंटी-1

इस कहानी में सारे चरित्र काल्पनिक हैं। वास्तब से मिलने की संभाबनाये बिल्कुल ही काकतैलीय हैं।

बलत्कार करना एक पाप है। ये वो लोग करते है जिनकी ओकात नही किसी औरत को पटाने कि।

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम राजेश है, में दिल्ली का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 20 साल है। में नियमित पाठक हूँ। यह मेरा इस साईट पर पहला सेक्स अनुभव है। अब में अपनी जबान में अपनी स्टोरी बताने जा रहा हूँ। मुझे आशा है कि आपको मेरी यह स्टोरी बहुत पसंद आएगी, ये मेरी पहली कहानी है। यह बात आज से 1 साल पहले की है। उस वक्त में कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुका था। में 5 फुट 9 इंच का तंदरुस्त जवान हूँ, मेरा लंड 7 इंच लम्बा और बहुत मोटा है। मेरे सामने वाले घर में एक खूबसूरत आंटी रहती थी, वो 32 साल की थी, 5 फुट 4 इंच लंबी और थोड़ी मोटी थी। उसके बूब्स बहुत ही मस्त थे, उसकी साईज करीब 34 जितनी थी, उसका फिगर साईज 34-30-36 था, वो बहुत ही सेक्सी दिखती थी, उसका नाम रेखा था। उसका घरवाला 40 साल का था, उनके दो बच्चे भी थे। में ज़्यादातर बाहर गाँव पढ़ाई करता था, इसकी वजह से मेरी उनसे ज़्यादा मुलाकात नहीं हो पाई थी, लेकिन अब मेरी पढ़ाई खत्म हो चुकी थी इसलिए में अपने घर पर रहने आया था।फिर जब सुबह में नहाने के बाद में अपने रूम में आया और कपड़े बदलने लगा और फिर मैंने अपना तोलिया निकाल दिया और चड्डी पहनने लगा था। तो तब एकदम से मैंने मेरी खिड़की में से देखा तो सामने वाली आंटी अपने बरामदे में खड़ी थी और झाड़ू लगा रही थी। फिर उसकी और मेरी नजर एक हुई। फिर उसने मुझे अंडरवेयर पहनते हुए देखा तो में एकदम शर्मा गया और वहाँ से दूर हो गया। फिर मैंने फटाफट से अपने कपड़े पहने और बाहर चला गया। फिर जब में घर वापस आया तो वो आंटी मेरे घर में मम्मी के पास बैठी थी। फिर उसने मुझसे पूछा कि राजू तू कब आया? अब तो तू बहुत बड़ा हो गया है और ऐसा कहकर वो हंसने लगी। में फिर से शर्मा गया और कुछ नहीं बोला।फिर दूसरे दिन में सुबह में नाहकर निकला और अपने रूम में कपड़े पहनने गया। आज मैंने पहले खिड़की में से देखा तो आंटी नजर नहीं आई इसलिए में आराम से तोलिया निकालकर आराम से अपने कपड़े बदलते रहा। तभी अचानक से सामने वाली खिड़की में से आवाज आई तो मेरी नजर उस खिड़की पर पड़ी। तब मैंने देखा कि वो आंटी वहाँ खड़ी-खड़ी मुझे कपड़े बदलते देख रही थी। अब की बार में नहीं शरमाया, लेकिन मुझे भी मज़ा आया था। फिर दूसरे दिन जब मे नाहकर बाहर निकला तो मैंने जानबूझकर खिड़की खुली कर दी और सामने देखा तो वो आंटी बरामदे में नीचे झुककर झाड़ू लगा रही थी। तो मुझे उसके बूब्स की दरार बहुत साफ दिख रही थी। फिर उसने ऊपर देखा तो हमारी नजर एक हुई तो वो मेरे सामने हंस पड़ी। तो मेरी भी हिम्मत खुल गई और मैंने भी स्माइल दिया। फिर वो वहाँ खड़ी-खड़ी झाड़ू लगाती रही और मुझे देखती रही।फिर मैंने भी हिम्मत करके मेरा तोलिया निकाल दिया और मेरा लंड उसके सामने बता दिया। वो ये देखकर एकदम घबरा गई और अंदर भाग गई, तो में मन ही मन बहुत खुश हुआ। अब मुझे भी यह सब करना अच्छा लगने लगा था। फिर में अपने मकान की छत पर गया और वहाँ बैठकर अपनी किताब पढ़ने लगा। तब एकदम से मेरी नजर सामने वाले मकान के कमपाउंड में पड़ी तो मैंने देखा तो वो आंटी चौक में बैठकर कपड़े धो रही थी। अब उन्होंने अपने साड़ी को घुटने तक ऊपर चढ़ा रखी थी, उसके पैर बहुत ही सुंदर और सेक्सी दिख रहे थे। अब में पढ़ाई छोड़कर उसको देखने लगा था। अब वो आंटी कपड़े धोते-धोते पूरी भीग गई थी और उसका हाथ जब ऊँचा नीचा होता था तो उसके बूब्स मोहक अदा में हिल रहे थे, जिसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था और धीरे-धीरे पूरा 8 इंच लम्बा हो गया था। फिर आंटी कपड़े धोने के बाद वहाँ चौक में ही नहाने लगी और फिर बाद में उसने अपनी साड़ी निकाल दी और पेटीकोट और ब्लाउज पहनकर नहाने लगी।अब नहाते-नहाते उसने अपना पेटीकोट अपनी जाँघ तक ऊपर कर दिया था। अब मेरी तो आँख फटी की फटी रह गई थी। में ज़िंदगी में पहली बार ये जलवा देख रहा था। अब मेरा लंड मेरे काबू में नहीं रहा था। अब में पूरी तरह से आंटी को नंगा देखना चाहता था और ये आशा भी मेरी जल्दी ही पूरी होने वाली थी। फिर आंटी ने धीरे से अपना ब्लाउज भी निकाल दिया और उसे भी धोने लगी। तब मैंने उसके बड़े-बड़े बूब्स देखे तो मेरी आँखे बड़ी हो गई और मेरे मुँह में से पानी टपकने लगा था। आंटी बहुत ही सेक्सी दिख रही थी। फिर उसने अपने शरीर पर साबुन लगाना शुरू किया, लेकिन ब्रा की वजह से वो आराम से अपने शरीर को रगड़ नहीं पाती थी इसलिए उसने अब अपनी ब्रा को भी अपने शरीर पर से उतार फेंका था। अब मर जाने वाली बारी मेरी थी, उसके बूब्स देखकर मेरा तो जी मेरे गले में अटक गया था, वाह क्या नज़ारा था? मैंने आज तक मेरी ज़िंदगी में इससे अच्छा नज़ारा कभी नहीं देखा था।ब मेरा लंड मेरे काबू में नहीं था।अब वो मेरी पेंट की चैन तोड़कर बाहर आने के लिए उछल रहा था। फिर मैंने भी जल्दी ही मेरे लंड की इच्छा पूरी की और मेरे लंड को मेरी पेंट की चैन खोलकर बाहर खुली हवा में छोड़ दिया और आंटी को देखकर मुठ मारना चालू कर दिया। अब आंटी नहा चुकी थी। फिर वो खड़ी हो गई और अपना शरीर टावल से पोंछने लगी। फिर अंत में उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया और तुरंत टावल लपेट दिया, लेकिन उसके बीच में आंटी की चूत की एक झलक पा चुका था और मेरी मुठ मारने की स्पीड डबल हो गई थी और फिर अंत में मैंने अपना पूरा माल बाहर निकाल दिया। अब मेरे दिमाग में आंटी को चोदने के ही विचार आने लगे थे। अब में कोई भी तरीके से आंटी को चोदने की तैयारी करने लगा था। फिर दूसरे ही दिन मैंने अपनी पूरी खिड़की खोल दी और आंटी को बरामदे में आने की राह देखने लगा था। फिर जब आंटी बरामदे में झाड़ू लगाने के लिए आई, तो तब मैंने उसे स्माइल दिया और धीरे से मेरा तोलिया निकाल दिया और मेरे लंड को हवा में खुला छोड़ दिया था।अब मेरे 8 इंच लंबे और मोटे लंड को हवा में लहराता देखकर आंटी के तो होश ही उड़ गये थे। अब वो मेरे लंड को देखती ही रह गई थी। फिर मैंने आंटी के सामने अपने लंड को पकड़कर मुठ मारने का स्टाइल मारने लगा था। तब आंटी शर्मा गई और झट से अपने रूम में चली गई और खिड़की में से मेरा नज़ारा देखने लगी थी। फिर मैंने मेरी दोनों गोलियों को पीछे खींचकर लंड की पूरी लंबाई आंटी को बताई तो वो बिना पलक झपकाए मेरे लंबे और तगड़े लंड को आराम से देख रही थी। फिर मैंने आंटी को हवा में किस किया, तो तब वो कुछ नहीं बोली। फिर मैंने आंटी को अपने बूब्स दिखाने के लिए कहा। अब वो मना कर रही थी, लेकिन मैंने बार-बार उसे इशारा किया। आख़िर में उसने अपने ब्लाउज के बटन खोलकर अपने बड़े-बड़े बूब्स बाहर निकाले और मेरे सामने दिखाने लगी थी। अब मेरा तो खून बहुत तेज़ी से दौड़ने लगा था।

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