एक अजीब सी ख़ुशी-1

एक अजीब सी ख़ुशी-1

इस कहानी में सारे चरित्र काल्पनिक हैं। वास्तब से मिलने की संभाबनाये बिल्कुल ही काकतैलीय हैं।

बलत्कार करना एक पाप है। ये वो लोग करते है जिनकी ओकात नही किसी औरत को पटाने कि।

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम देव है, में जमशेदपुर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 31 साल है और में शादीशुदा हूँ। मेरी दिलचस्पी हमेशा शादीशुदा औरतो में होती है, जो साड़ी पहनती है, क्योंकि साड़ी में औरत काफ़ी सेक्सी और खूबसूरत लगती है, जिसे चोदने में भी काफ़ी मज़ा आता है। अब में आपको ज्यादा बोर ना करते हुए सीधा अपनी स्टोरी पर आता हूँ। यह कहानी तब की है जब में 26 साल का था। मेरे चाचा की नयी नयी शादी हुई थी, वो कोलकाता में रहते है। में ऐसे ही घूमने के लिए कोलकाता गया था, में चाचा के घर पर ही रुका था। मेरी दादी कुछ दिनों से बीमार चल रही थी, तो वो बुआ के घर चली गयी थी। फिर में सुबह चाचा के घर पहुँचा तो तब चाचा घर पर ही थे और काम पर जाने की तैयारी कर रहे थे। फिर वो मुझे देखकर बहुत खुश हुए, क्योंकि में उनकी शादी में नहीं गया था। फिर चाचा ने मेरा परिचय चाची से कराया, चाची काफ़ी खूबसूरत तो नहीं, लेकिन एक अच्छे बदन की मल्लिका थी, उसका बदन भरा हुआ था, गोरा रंग, बड़ी- बड़ी चूचीयाँ, बड़ी-बड़ी काली आँखें, उन्हें और ज्यादा खूबसूरत बना रही थी।अब में चाची को देखता ही रह गया था। तब चाची खुद ही मुझसे पूछ बैठी देव कहाँ खो गये? तो तब मैंने शर्माते हुए कहा कि कहीं तो नहीं और झुककर उनके पैर छू लिए, उनके पैर छूते ही मुझे एक अजीब सी ख़ुशी मिली थी, उसका गोरा पैर बिल्कुल नर्म मक्खन सा महसूस हुआ था। फिर मैंने चाची की नजरों में देखा तो वो भी सिहर उठी थी। फिर चाचा ने चाय बनाने को कहा तो तब चाची चाय बनाकर लाई। फिर हम तीनों ने चाय पी और उसके बाद चाचा ने मुझसे पूछा कि कैसे आए हो? तो तब मैंने कहा कि बस ऐसे ही घूमने चला आया, कल चला जाऊँगा। तब चाचा ने कहा कि अगर घूमने ही जाना है तो अपनी चाची को भी साथ ले जाना, मुझे तो समय ही नहीं मिलता कि कहीं घुमा पाऊँ। तब मैंने हाँ कह दिया। चाचा हमेशा रात के 11 बजे के बाद ही घर आते है।अब में सफर से थक चुका था तो हल्का सा चाचा के बेड पर ही लेट गया था। अब मुझे लगभग नींद सी आ गयी थी और मेरे सपने में चाची का खूबसूरत जिस्म घूम रहा था, जिससे मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया था, जो मेरी पेंट के ऊपर से साफ दिख रहा था। तभी अचानक से मुझे एहसास हुआ कि मेरे लंड के पास कुछ रेंग रहा है। मेरी चाची मेरे लंड के पास अपने हाथों से सहला रही थी। फिर जैसे ही मैंने अपनी आँखें खोली तो तब चाची हडबड़ाकर उठ गयी और कहने लगी देव उठो पहले नहाकर फ्रेश हो जाओ, कुछ खा लो फिर सो जाना।फिर तब मैंने कहा कि नहीं चाची अब रहने दो, अब और क्या सोना? में नहाकर फ्रेश हो जाता हूँ, तुम भी तैयार हो जाओ, घूमने जाना है ना? (यहाँ में आपको ये बता देता हूँ कि मेरे चाचा मुझसे उम्र में छोटे है, वो मेरे दादा जी की दूसरी बीवी की संतान है) तो तब चाची ने कहा कि ठीक है तुम जाकर तालाब में नहा लो, में बाथरूम में नहा लेती हूँ। फिर में नहाने चला गया और जब वापस आया तो तब मेरे तो जैसे होश ही उड़ गये थे। अब चाची सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में शीशे के पास बैठकर खुद को संवार रही थी। वो पिंक कलर के ब्लाउज और पिंक कलर के ही पेटीकोट में थी, क्या गजब का नज़ारा था? अब मुझे शीशे में से उसके ब्लाउज में से झांकती हुई उसकी चूचीयों की गहराई साफ दिख रही थी। अब में तो जैसे अपने होश ही खो बैठा था। तभी शीशे में चाची ने मुझे देख लिया, लेकिन उसने अपनी चूचीयों के बारे में कुछ भी ख्याल ना करते हुए मुझसे पूछा कि नहा लिए देव। तब मैंने खुद को संभालते हुए हाँ में जवाब दिया। तब चाची ने कहा कि कुछ चाहिए है? तो तब मैंने कहा कि हाँ मुझे कंघा चाहिए।फिर तब उसने कहा कि यहाँ है ले जाओ। तो तब में बिल्कुल चाची के पास पहुँच गया और कंघा लेने के बहाने जरा सा उसके शरीर को छू लिया। अब जब चाची इतनी बिंदास होकर तैयार हो रही थी तो तब में भी वहीं खड़ा होकर चाची को देखते हुए तैयार होने लगा था। फिर जब चाची तैयार होकर खड़ी हुई तो कयामत लग रही थी पिंक कलर का ब्लाउज और पेटीकोट, होंठो पर पिंक कलर, अब वो बिल्कुल हुस्न की परी लग रही थी। फिर वो उठकर ठीक मेरे सामने आ गयी। अब उसकी दोनों चूचीयाँ बाहर आने के लिए मचल रही थी और मेरे हाथों में तो उन चूचीयों को ज़ोर-जोर से मसलने के लिए खुजली हो रही थी, लेकिन में मजबूर था। तब चाची ने मुझसे कहा कि देव प्लीज मेरी साड़ी देना, वहाँ वो गुलाबी साड़ी पड़ी है वही देना। तब मैंने साड़ी उठाकर चाची को दी। अब इस दौरान में तैयार हो चुका था। अब चाची अपनी साड़ी बाँध रही थी। अब वो अपनी साड़ी को अपनी नाभि के काफ़ी नीचे बाँध रही थी, जिससे उसकी नाभि और उसकी गहराई साफ दिख रही थी।अब उसका गोरा चिकना पेट देखकर में तो सोचने लगा था कि काश हम घूमने ना जाते और यहीं पर एक चुदाई का प्रोग्राम स्टार्ट हो जाता तो क्या खूब होता? तो तभी चाची ने मुझसे कहा कि देव जरा ये साड़ी का पल्लू तो पकड़ना। तब मैंने तुरंत चाची का पल्लू पकड़ लिया और अब वो आँचल ठीक करने लगी थी। अब में सिर्फ़ चाची की चूचीयों को देख रहा था। तब चाची ने कहा कि क्या देख रहे हो? तो तब मैंने कहा कि कुछ भी तो नहीं। फिर चाची तैयार हो गयी और फिर हम दोनों घूमने के लिए निकल पड़े। फिर हम दोनों ऑटो में जाकर बैठे और उस ऑटो में और भी लोग थे। अब चाची बिल्कुल मेरे पास बैठी थी जिससे उसका पूरा शरीर मेरे शरीर से चिपका हुआ था। अब मुझे काफ़ी अच्छा लग रहा था।अब बीच-बीच में जब ऑटो हिलता था तो वो पूरी तरह से मेरी बाहों में गिर जाती थी, जिससे उसकी चूचीयाँ कई बार मेरे हाथों से दब भी जाती थी। फिर उसके जिस्म के एहसास को महसूस करते हुए हम कब विक्टोरीया मेमोरियल पहुँच गये? हमें इस बात का पता ही नहीं चला था। फिर हम दोनों विक्टोरिया के गार्डन में घुस गये और एक जगह पेड़ के नीचे घास पर बैठ गये थे। अब हमारे आमने सामने और भी कई कपल बैठे थे और एक दूसरे के साथ अश्लील हरकतें भी कर रहे थे। अब मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उन लोगों की हरकतों को देखकर चाची भी गर्म हो रही है। तब मैंने पूछा कि चाची कोई टेन्शन है क्या? अगर ऐसी बात है तो कही और चले? तो तब चाची ने कहा कि नहीं यही ठीक है और फिर चाची ने कहा कि देव एक बात पूछूँ सही जवाब दोगे? तो तब मैंने कहा कि हाँ पूछो। तब उसने कहा कि सच बताओ तुम घर पर क्या देख रहे थे? तो तब मैंने भी हिम्मत करते हुए कहा कि सच कहूँ चाची तो में तुम्हें और तुम्हारी खूबसूरती को देख रहा था।फिर तब चाची ने कहा कि और? तो तब मैंने कहा कि तुम्हारी ये चूचीयाँ जो मुझे बार-बार तुम्हारी तरफ देखने को मजबूर कर रही थी, लेकिन चाची एक बात बताओ जब में सो रहा था, तो तब तुम मेरे पास क्या कर रही थी? तो तब चाची रोने लगी और मुझसे लिपट गयी। तब मैंने कहा कि चाची क्या बात है? बताओ ना। तब चाची रोते हुए मुझसे बोली कि देव जब से मैंने तुम्हें देखा है ना, जाने क्यों मुझे तुम अच्छे लगने लगे हो? देव में बहुत प्यासी हूँ, जब से मेरी शादी हुई है तुम्हारे चाचा ने सिर्फ़ मेरी चूचीयाँ दबाई है, वो सिर्फ मेरी चूत पर हाथ फैरते है, मेरी चूत में उंगली भी डालते है, लेकिन आज तक मेरी चूत कुँवारी है। तब मैंने चौंकते हुए कहा कि चाची यह क्या कह रही हो?तब चाची ने कहा कि ये सच है देव, आज तक तुम्हारे चाचा ने अपना लंड मेरी चूत में नहीं डाला है, उनका लंड खड़ा तो होता है, लेकिन मेरी चूचीयों को दबाने और मेरी चूत को हाथ लगाने भर से ही झड़ जाता है, आज जब तुम सो रहे थे तो तब तुम्हारा लंड तनकर खड़ा था, तो तब में खुद को रोक नहीं पाई और तुम्हारे लंड को सहलाने लगी थी, लेकिन तुम जाग गये। मुझे माफ़ कर दो देव, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था, लेकिन में क्या करती देव? में एक औरत हूँ और प्यासी भी हूँ, तुम्हारे तने हुए लंड को देखकर में खुद को नहीं रोक सकी, देव क्या तुम मेरी प्यास बुझाओगे? देव देखो प्लीज ना मत करना, एक प्यासे की प्यास बुझाना पुण्य का काम होता है, देव ये घर की बात है और घर में ही रहेगी, में बाहर किसी से चुदवाना नहीं चाहती हूँ देव। अब उसके मुँह से इतनी खुली बातें सुनकर और उसके जिस्म को अपने शरीर में पाकर मेरा लंड खड़ा हो गया था। फिर मैंने चाची को ज़ोर से अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठो को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा था और दूसरी तरफ अपने हाथों से उसके गुलाबी ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचीयों को मसलने लगा था। फिर जब में उसके होंठो को चूसकर उसका सारा रस पीकर उससे अलग हुआ तो तब उनकी आँखें लाल हो गयी थी।अब वो इसी वक़्त मेरे लंड को अपनी चूत में लेना चाहती थी, लेकिन मैंने उसे समझाया और कहा कि घर चलते है और फिर हम दोनों वहाँ से घर के लिए चल पड़े। फिर घर पहुँचते ही हम दोनों एक दूसरे की बाहों में समा गये। अब में उसकी चूचीयों को अपने दोनों हाथों से ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा था। अब उसके मुँह से आहह, आअहह, उउऊहह, आओउूच की आवाज़ें आने लगी थी। अब वो बिल्कुल अपने होश खो बैठी थी। फिर में उसके होंठो को अपने होंठो में लेकर चूसने लगा। अब उसकी आँखें लाल होने लगी थी और उन आँखों में सेक्स झलकने लगा था। फिर मैंने तुरंत उसकी गुलाबी साड़ी को उसके शरीर से अलग कर दिया। अब वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी। अब उसकी तनी हुई चूचीयाँ मुझे ललचा रही थी। तभी चाची एक गहरी अंगड़ाई लेकर बिस्तर पर लेट गयी, जिससे उसकी तनी हुई चूचीयाँ उसकी सांसो के साथ ऊपर नीचे होने लगी थी। तब मैंने तुरंत अपने कपड़े उतारे और उसके खुले नंगे पेट पर अपना मुँह रख दिया और उसके पेट और नाभि को जमकर चूमने लगा था।फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी चूचीयों पर रखा तो तब वो ज़ोर-जोर से सिसकने लगी थी। फिर मैंने उसके ब्लाउज के हुक खोल दिए तो उसकी चूचीयाँ सफ़ेद रंग की ब्रा में खिल रही थी, उसकी चूचीयों का आधा से ज़्यादा हिस्सा ब्रा के बाहर था। अब में उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचीयों को चूमने लगा था। अब वो मदहोश होकर मेरे मुँह को अपनी चूचीयों पर रगड़ने लगी थी। फिर मैंने उसकी चूचीयों का मज़ा लेते हुए ही उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उसे नीचे सरका दिया था। अब उसके गोरे मांसल बदन पर सफेद रंग के दो छोटे-छोटे कपड़े (ब्रा और पेंटी) काफ़ी खूबसूरत लग रहे थे। तब मैंने देखा कि उसकी चूत पानी से भीगी हुई है और उसमें से एक भीनी भीनी खुशबू आ रही है, पेंटी भीगे भी क्यों ना? वो तो आज सुबह से ही मुझसे चुदवाने के सपने देख रही थी।

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